Hindi, asked by gurdasanidharampal, 7 months ago

प्रश्न-8
निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक काव्या
हम तो एक एक करि जाना।
दोइ कहूँ तिनहीं की दोजग जिन नाहिंन पहिचानां ।।
एकै पवन एक ही पानी एकै ज्योति समाना।
एक खाक गढ़े सब मांडे एक कोहरा सांनां।।
जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटे कोई।
सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
माया देखि के जगत लुभाना काहे रे नर गरबांना।
निरमै भया कळू नहि ब्यापै कहे कबीर दिवाना।।​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

कबीरदास कहते हैं कि परमात्मा एक है। वह हर प्राणी के हृदय में समाया हुआ है भले ही उसने कोई भी स्वरूप धारण किया हो।

2. जो लोग आत्मा व परमात्मा को अलग-अलग मानते हैं, वे भ्रमित हैं। वे ईश्वर को पहचान नहीं पाए। उन्हें नरक की प्राप्ति होती है।

3. कबीर का कहना है कि जिस प्रकार लकड़ी को काटा जा सकता है, परंतु उसके अंदर की अग्नि को नहीं काटा जा सकता, उसी प्रकार शरीर नष्ट हो जाता है, परंतु आत्मा अमर है। उसे समाप्त नहीं किया जा सकता।

4. कबीर ने जना की सत्ता एक होने यानी ईश्वर एक है के समर्थन में कई उदाहरण दिए हैं। वे कहते हैं कि संसार में एक जैसी पवन, एक जैसा पानी बहता है। हर प्राणी में एक ही ज्योति समाई हुई है। सभी बर्तन एक ही मिट्टी से बनाए जाते हैं, भले ही उनका स्वरूप अलग-अलग होता है।

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