प्रश्न-9
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
(क) उक्त पंक्तियों में निहित काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ख) उक्त काव्यांश के शब्द-चित्र पर टिप्पणी लिखिए।
Answers
Answer: वैचारिक रूप से प्रगतिशील एवं शिल्पगत रूप से प्रयोगधर्मी कवि शमशेर को एक बिंबधर्मी कवि के रूप में जाना जाता है। इनकी बिंबधर्मिता शब्दों में माध्यम से रंग, रेखा, एवं सूची की अद्भुत कशीदाकारी का माद्दा रखती है। इन्होंने अपनी कविताओं में समाज की यथार्थ स्थिति का भी चित्रण किया है। ये समाज में व्याप्त गरीबी का चित्रण करते हैं। कवि ने प्रकृति के सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया है। प्रकृति के नजदीक रहने के कारण इनके प्राकृतिक चित्र अत्यंत जीवंत लगते हैं। ‘उषा’ कविता में प्रात:कालीन वातावरण का सजीव चित्रण है।
शमशेर की कविता एक संधिस्थल पर खड़ी है। यह संधि एक ओर साहित्य, चित्रकला और संगीत की है तो दूसरी ओर मूर्तता और अमूर्तता की तथा ऐंद्रिय और ऐंद्रियेतर की है।
भाषा-शैली- शमशेर बहादुर सिंह ने साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है। कथा और शिल्प-दोनों ही स्तरों पर इनकी कविता का मिजाज अलग है। उर्दू शायरी के प्रभाव से संज्ञा और विशेषण से अधिक बल सर्वनामों, क्रियाओं, अव्ययों और मुहावरों को दिया है। सचेत इंद्रियों का यह कवि जब प्रेम, पीड़ा, संघर्ष और सृजन को गूँथकर कविता का महल बनाता है तो वह ठोस तो होता ही है, अनुगूंजों से भी भरा होता है।
Explanation: शब्दार्थ- सिल –मसाला पीसने के लिए बनाया गया पत्थर। केसर- विशेष फूल। मल देना- लगा देना।
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित ‘उषा’ कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता प्रसिद्ध प्रयोगवादी कवि शमशेर बहादुर सिंह हैं। इस कविता में कवि ने सूर्योदय से पहले के वातावरण का सुंदर चित्र उकेरा है। कविता के इस अंश में सूर्योदय का मनोहारी चित्रण किया गया है।
व्याख्या-कवि प्रात:कालीन आकाश का वर्णन करते हुए कहता है कि सूर्य क्षितिज से ऊपर उठता है तो हलकी लालिमा की रोशनी फैल जाती है। ऐसा लगता है कि काली रंग की सिल को लाल केसर से धो दिया गया है। अँधेरा काली सिल तथा सूरज की लाली केसर के समान लगती है। इस समय आकाश ऐसा लगता है मानो काली स्लेट पर किसी ने लाल खड़िया मिट्टी मल दिया हो। अँधेरा काली स्लेट के समान व सुबह की लालिमा लाल खड़िया चाक के समान लगती है।
विशेष-
(i) कवि ने प्रकृति का मनोहारी वर्णन किया है।
(ii) पूरे काव्यांश में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(iii) मुक्तक छंद का प्रयोग है।
(iv) नए बिंबों व उपमानों का प्रयोग है।
(v) सरल, सहज खड़ी बोली में सुंदर अभिव्यक्ति है।
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