Hindi, asked by TaMort, 6 months ago

प्रश्न 9 उगता सूरज चुनाव चिह्न वाले किसी निर्दलीय प्रत्याशी के प्रचार
हेतु एक प्रभावी
नारा स्लोगन) लिखिए।

Answers

Answered by chintamanbhamre000
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Answer:

करीब-करीब हर दल मतदाताओं से जुड़ने के लिए अपने नारे लेकर मैदान में है. रचनात्मक नारे रोज़ अख़बारों में छप रहे हैं और अन्य प्रचार माध्यमों से भी सुने जा सकते हैं.

अक्सर नारे राजनेताओं को अपने समर्थकों को इकट्ठा करने और अपने विचारों को एक बार में कहने के काम आते हैं. 2008 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों में दिए गए बराक ओबामा के नारे "यस वी कैन" को कम ही लोग भुला सकते हैं.

लेकिन भारत की विविधतापूर्ण राजनीतिक संस्कृति में नारे कैसे काम करते हैं?

यहां राजनीतिक दलों के नारे अक्सर देश का मिज़ाज भांपने की दल की क्षमता को रेखांकित करते हैं. एक अच्छा नारा धर्म, क्षेत्र, जाति और भाषा के आधार पर बंटे हुए लोगों को साथ ला सकता है लेकिन ख़राब नारा राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पलीता लगा सकता है.

इस साल सभी मुख्य राजनीतिक दलों को उम्मीद है कि उन्हें मतदाताओं के दिलों के तार छेड़ने वाला जादुई शब्द-समूह मिल गया है.

नरेंद्र मोदी पोस्टर

इमेज स्रोत,AFP

मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सारे पासे एक ही खाने में रख दिए हैं. पार्टी अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर दांव खेल रही है और इसका नारा है, "अबकी बार, मोदी सरकार."

यकीनन यह नारा चल पड़ा है- इसके प्रशंसक और आलोचक दोनों पर ही एक समान असर कर रहा है.

बीजेपी के विरोधियों का कहना है कि मोदी ने पार्टी को "बंधक" बना किया है और यह नारा बताता है कि प्रचार में किसी और नेता को स्थान देने योग्य नहीं माना गया है.

लेकिन इस नारे के राजनीतिक फ़ायदे से इतर मज़ेदार बात यह है कि यह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है.

भारत में सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस नारे के साथ तुक मिलाने वाली कई पंक्तियां जोड़ दी हैं.

एक में कहा गया है, "ट्विंटल-ट्विंकल लिटिल स्टार, अबकी बार मोदी सरकार."

सत्ताधारी कांग्रेस का मुख्य संदेश एकता और सबका विकास है. इसका नारा है- हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की.

लेकिन पार्टी सिर्फ़ एक ही नारे से ही संतुष्ट नहीं हुई और दूसरे नारे में इसने हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी पर निशाना साथा है- "कट्टर सोच नहीं, युवा जोश."

राहुल गांधी

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दोनों पार्टियों की रणनीति दर्शाती है कि भारत की राजनीति व्यक्तिवादी होती जा रही है और अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली की ओर जा रही है.

Answered by rahul233446
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Answer:

1971 के चुनाव में ‘गरीबी हटाओ, देश बचाओ’ के करिश्मे से इंदिरा अपने समकालीन नेताओं पर भारी पड़ीं।

लेकिन, 1977 में जनता पार्टी के नारे ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ की आंधी में आयरन लेडी टिक न सकीं। हालत यह हो गई कि खुद रायबरेली में ही हार गईं।

श्रीकांत वर्मा ने जब नारा दिया, ‘जात पर न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मोहर लगेगी हाथ पर’ तो जनता ने फिर इंदिरा का साथ दिया।

जय जवान जय किसान

1965 में जब देश पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझा तो खाद्य पदार्थों की भारी कमी पड़ गई। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर देश को तरक्की की दिशा दिखाई तो कांग्रेस को बड़ी जीत भी हासिल हुई।

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