प्रश्न-अभ्यास
ब
कहानी से
1. कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के है?' किन के बारे में और क्यों कहा
गया?
यहत
2. बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?
3. “या तो बच्चाराज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।" अम्मा ने कब
कहा? और इसका परिणाम क्या हुआ? हुआ और संतक की
4. 'कामचोर' कहानी क्या संदेश देती है? नई
भारी बीजे अ
5. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर
पानी भी नहीं पिएँगे।
8
वि
Answers
Answer:
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Answer:
1]मोटे-मोटे से तात्पर्य यहाँ घर के सभी बच्चों से लिया गया है। बच्चे सारे दिन खेलते-कूदते रहते थे परन्तु घर के कामकाज में ज़रा सी भी मदद नहीं करते थे। उनके पिताजी ने फरमान जारी कर दिया की अब ये बच्चे काम करेंगे ना कि आराम। उनके अनुसार आराम के कारण ही सब मोटे होते जा रहे हैं।
2] उनके ऊधम से सारे घर में हँगामा मच चुका था, पुरा घर अस्त व्यस्त हो चुका था। सारे घर में मुर्गियाँ ही मुर्गियाँ थीं। भेड़ों ने तो जैसे अपना निवास स्थान बना लिया था। चारों तरफ टूटे हुए तसले, बालटियाँ, लोटे, कटोरे बिखरे पड़े थे। कालीन को झाड़ते वक्त पूरे घर में धूल भर दी गई । चाचा बेचारे तो जैसे अपनी जान बचा ही पाए थे। तरकारी वाली तो अपनी तरकारी खराब होने का मातम रो-रोकर माना रही थी। ऐसा लगता था मानो पूरे घर में तूफान आया है और सारा नाश करके वापस चला गया हो। यहाँ तक कि बच्चों को नहलाने धुलाने के लिए नौकरों को पैसे देने पड़े। 3]अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा था। पिताजी ने बच्चों में कामचोरी निकालने की नीयत से उनसे घर के काम काज में हाथ बँटाने के लिए कहा था परन्तु उन्होंने किया इसके विपरीत। सारे घर का हूलिया ही बदल डाला था। चारों तरफ़ समान बिखरा दिया, मुर्गियों और भेड़ों को घर में घुसा दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि काम करने के बजाए उन्होंने घर का काम कई गुना बढ़ा दिया जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। उन्होंने पिताजी को साफ़-साफ़ कह दिया कि या तो बच्चों से करवा लो या मैं मायके चली जाती हूँ। इसका परिणाम ये हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने कि हिदायत दे डाली नहीं तो सज़ा के लिए तैयार रहने को कहा। 4]कामचोर से यही सीख मिलती है कि काम के लिए समझदारी होना आवश्यक है। बिना सोचे समझे किया गया काम हमेशा नुकसान ही देता है, जैसे पिताजी द्वारा करने को दिए गए कामों को अपनी नासमझी से बच्चों ने बर्बाद कर दिया। अगर वो इसी काम को आराम से व समझदारी से करते तो उनके घर का बुरा हाल न होता। बच्चों को शुरू से तरीके से काम करना सिखाना चाहिए। 5]बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि वह अब हिलकर पानी नहीं पिएँगे। क्योंकि उनके पिताजी तो यह चाहते थे कि वह स्वयं उठकर जाएँ और पानी पिएँ जिससे वह कमज़ोर न बनें परन्तु सब बच्चों ने उससे तात्पर्य निकला कि पानी हिल-हिलकर पीना चाहिए। जिसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों ने पानी पीते-पीते हिलना आरम्भ कर दिया और धक्का-मुक्की आरम्भ कर दी और सारे मटके और सुराही इधर-उधर गिरा दिए, ना तो उन्होनें ठीक से पानी पीया और न दूसरों को पीने दिया। वैसे तो उन्हें चाहिए था कि स्वयं उठकर पानी पीएँ पर उन्होंने बात को ही गलत समझकर उसका अर्थ बदल डाला।