प्रश्न-
अयोतिरिवत अपठित काव्यांश सम्यक पठित्ता पश्नानानां
उत्तराणी संस्कृतभाषायां विरवत ।-
JKC
संस्कृतभाखा अस्माकं देशस्य प्राचीनता भाखा अरिता प्राचीनकाले
सर्व एव भारतीयाः रस्कृतमाघाव्या व व्यवहार कुर्वन्ति
स्मा कालान्तरे वितिया, पान्तीया, भाषा: प्रचलिताः अभवन
किन्तु संस्कृतस्य महतम् अद्यापि अपाण्यं वर्तते सर्वे
प्राचीनन्थ्याः चत्वारी वेयाश्च संस्कृतमाखायामेव सन्ति । ।
संस्कृतमाचा मारतराएट्रस्य एकताया आप्यार, अस्ता
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पश्ना-
(
(क) उपर्युक्त गद्यांशस्य उचितं शीर्षक रिपवत ।
एक अस्माकं देशस्य प्राचीनतमा मावा का
ग) सर्वे तदनन्याः कस्यो भाषामा सन्ति)
त्या भारत राष्ट्रस्य एकताया। आध्यार का )
3) कस्य महत्वम् अद्यापि अहष्णं वर्तते
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Answer:
अपठित काव्यांश अपठित काव्यांश किसी कविता का वह अंश होता है, जो पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तकों से नहीं लिया जाता है। इस अंश को छात्रों द्वारा पहले नहीं पढ़ा गया होता है।
अपठित काव्यांश का उद्देश्य काव्य पंक्तियों का भाव और अर्थ समझना, कठिन शब्दों के अर्थ समझना, प्रतीकार्थ समझना, काव्य सौंदर्य समझना, भाषा-शैली समझना तथा काव्यांश में निहित संदेश। शिक्षा की समझ आदि से संबंधित विद्यार्थियों की योग्यता की जाँच-परख करना है।
अपठित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करने से पहले काव्यांश को दो-तीन बार पढ़ना चाहिए तथा उसका भावार्थ और मूलभाव समझ में आ जाए। इसके लिए काव्यांश के शब्दार्थ एवं भावार्थ पर चिंतन-मनन करना चाहिए। छात्रों को व्याकरण एवं भाषा पर अच्छी पकड़ होने से यह काम आसान हो जाता है। यद्यपि गद्यांश की तुलना में काव्यांश की भाषा छात्रों को कठिन लगती है। इसमें प्रतीकों का प्रयोग इसका अर्थ कठिन बना देता है, फिर भी निरंतर अभ्यास से इन कठिनाइयों पर विजय पाई जा सकती है।