Hindi, asked by sandhyaawasthi23, 7 months ago

प्रश्न ४. भाव स्पष्ट कीजिये
"सृष्टि की सिरजनहार
जग जननि उच्च महातम है।"​

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Explanation:

जिन दिनों कबीर दास का आविर्भाव हुआ था, उन दिनों हिंदूओं में पौराणिक मत ही प्रबल था। देश में नाना प्रकार की साधनाएँ प्रचलित थी। कोई वेद का दिवाना था, तो कोई उदासी और कई तो ऐसे थे, जो दीन बनाए फिर रहा था, तो कोई दान- पुण्य में लीन था। कई व्यक्ति ऐसे थे, जो मदिरा के सेवन ही में सब कुछ पाना चाहता था तथा कुछ लोग तंत्र- मंत्र, औषधादि की करामात को अपनाए हुआ था।

इक पठहि पाठ, इक भी उदास,

इक नगन निरन्तर रहै निवास,

इक जीग जुगुति तन खनि,

इक राम नाम संग रहे लीना।

कबीर ने अपने चतुर्दिक जो कुछ भी देखा- सुना और समझा, उसका प्रचार अपनी वाणी द्वारा जोरदार शब्दों में किया :-

ऐसा जो जोग न देखा भाई, भुला फिरे लिए गफिलाई

महादेव को पंथ चलावे, ऐसा बड़ो महंत कहावै।।

कबीर दास ने जब अपने तत्कालीन समाज में प्रचलित विडम्बना देखकर चकित रह गए। समाज की इस दुहरी नीति पर उन्होंने फरमाया :-

पंडित देखहु मन मुंह जानी।

कछु धै छूति कहां ते उपजी, तबहि छूति तुम मानी।

समाज में छुआछूत का प्रचार जोरों पर देखकर कबीर साहब ने उसका खंडन किया। उन्होंने पाखंडी पंडित को संबोधित करके कहा कि छुआछूत की बीमारी कहाँ से उपजी।

तुम कत ब्राह्मण हम कत सूद,

हम कत लौहू तुम कत दूध,

जो तुम बाभन बाभनि जाया,

आन घाट काहे नहि आया।

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