। प्रश्न-फ्रेको-प्रशिक्षण युद्ध (1870 ई.) के कारण एवं परिणामों का वर्णन
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.दुश्मनों के सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोई उम्मीद न दिखने पर नैपोलियन तृतीय ने सेना को वापस बुला लिया। फ़्रांससी सेना के लगभग 17,000 से अधिक सैनिक मारे और घायल हो गए और 21,000 सैनिक बन्दी बना लिये गये,वहीं प्रशियन सेना के 2,320 सैनिक मारे गए, 5,980 घायल और 700 बन्दी या गायब हो गये।
दूसरे दिन, 2 सितंबर को, नैपोलियन तृतीय ने श्वेत ध्वज लहरा कर स्वयं एवं सेना के साथ प्रशियाई राजा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
इस युद्ध के निम्न परिणाम रहे:
.सेडान के युद्ध ने जर्मनी के एकीकरण को पूर्णता प्रदान की। अब एकीकृत जर्मनी यूरोप का प्रतिष्ठित और शक्तिशाली राज्य बन गया। बिस्मार्क न केवल जर्मनी का वरन् यूरोप का प्रभावशाली राजनीतिज्ञ बन गया। यूरोप के नक्शे पर एकीकृत जर्मनी का उदय हुआ, जिसकी राजधानी बर्लिन बनी।
.इस युद्ध ने इटली के एकीकरण को भी पूरा किया। वस्तुतः फ्रांस की सेना की एक टुकड़ी रोम में पोप की रक्षा के लिए रखी गई थी। फ्रांस-प्रशा युद्ध के समय फ्रांस ने यह सेना रोम से बुला ली। फलतः इटली ने मौके का फायदा उठाकर रोम पर अधिकार कर लिया और इटली का एकीकरण पूरा हुआ।
.इस युद्ध में सर्वाधिक हानि फ्रांस को हुई। उसे युद्ध में भारी हर्जाने के अलावा उसे अल्सॉस-लॉरेन जैसे अत्याधिक समृद्ध प्रदेश से हाथ धोने पड़े। इससे फ्रांस और जर्मनी में दीर्घकालिक शत्रुता का जन्म हुआ। यही शत्रुता प्रथम विश्वयुद्ध का एक महत्पूर्ण कारण बनी। इसलिए यह कहा जाता है कि 1871 के पश्चात् फै्रंकफर्ट सन्धि यूरोप का रिसने वाला फोड़ा बन गया।
.युद्ध में पराजय के कारण फ्रांस में राजतंत्र का सदैव के लिए अन्त हो गया। फ्रांस में तृतीय गणतंत्र की स्थापना हुई जो थोड़े बहुत परिवर्तनों के साथ आज भी विद्यमान है।
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