प्रश्न १४; गंगा ने देवव्रत के किन किन गुणों से राजा शांतनु को अगवत कराया ?
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गंगा पुत्र भीष्म के पिता थे शांतनु, भीष्म ने अपने पिता का विवाह करवाया था सत्यवती से
10 महीने पहले
गंगा पुत्र भीष्म के पिता थे शांतनु, भीष्म ने अपने पिता का विवाह करवाया था सत्यवती से|धर्म,Dharm -
देव नदी गंगा ने राजा शांतनु से कहा कि जिस दिन उन्हें किसी बात के रोकेंगे, वह राजा को छोड़कर चली जाएगी, शांतनु ने शर्त मान ली और उनका विवाह हो गया
जीवन मंत्र डेस्क। महाभारत में भीष्म के पिता राजा शांतनु थे। कथा के अनुसार राजा शांतनु को देव नदी गंगा से प्रेम हो गया था। राजा ने गंगा से विवाह करने की इच्छा बताई तो गंगा ने शांतनु के सामने शर्त रखी कि उसे अपने अनुसार काम करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए, जिस दिन शांतनु उन्हें किसी बात के लिए रोकेंगे, वह उन्हें छोड़कर चली जाएगी। शांतनु ने गंगा की ये शर्त मान ली और विवाह कर लिया।
विवाह के बाद गंगा जब भी किसी संतान को जन्म देती, उसे तुरंत नदी में बहा देती थी। शांतनु उन्हें रोक नहीं पाते क्योंकि वे अपने वचन में बंधे थे और गंगा को खोने से डरते थे। जब सातवीं संतान को भी गंगा नदी में बहाने आई तो शांतनु से रहा नहीं गया। उन्होंने गंगा को रोक कर पूछा कि वो अपनी संतानों को इस तरह नदी में बहा क्यों देती है?
गंगा ने कहा राजन् आज आपने अपनी संतान के लिए मेरी शर्त को तोड़ दिया। अब ये संतान ही आपके पास रहेगी। शांतनु ने अपनी संतान को बचा लिया, लेकिन उसे अच्छी शिक्षा के लिए कुछ सालों के लिए गंगा के साथ ही छोड़ दिया। उस लड़के का नाम रखा गया था देवव्रत।
कुछ वर्षों बाद गंगा उसे लौटाने आईं। तब तक वह एक महान योद्धा और धर्मज्ञ बन चुका था। पुत्र के लिए शांतनु ने गंगा जैसी देवी का त्याग स्वीकार किया, उसी पुत्र को शिक्षा के लिए कई साल अपने से दूर भी रखा। इसी देवव्रत ने शांतनु का विवाह सत्यवती से करवाने के लिए आजीवन अविवाहित रहने की भीषण प्रतिज्ञा की थी। जिसके बाद इसका नाम भीष्म पड़ा। भीष्म ने ही आखिरी तक अपने पिता के वंश की रक्षा की।