प्रश्ना. गीता का मर्म पाठ के अनुसार अर्जुन ने इंद्र से अपनी विद्या का उपयोग किन-किन कार्यों के लिए करने को कहा था?
इस प्रसंग का महाराज आनंद पाल और पण्डित गौवर्ण के ऊपर क्या प्रभाव पड़ा? लिखिए।
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Answers
✎... ‘गीता का मर्म’ पाठ के अनुसार अर्जुन ने इंद्र को कहा कि वह अपनी विद्या का उपयोग सत्य व न्याय की रक्षा करने, असहायों की सहायता करने, दुष्टों का दमन करने, नारी की रक्षा करने, निर्बलों को सबल बनाने तथा धर्म की रक्षा करने के लिए करेंगे।
इस प्रसंग को सुनकर राजा आनंद पाल के मन में ये विचार आये कि राजा के रूप में उनका कार्य जनकल्याण करने का है, राजभोगों को भोगने का नहीं। अतः उनके मन में वैराग्य का भाव उत्पन्न हो गया और उन्होंने अपना सारा राजपाट गीता का मर्म सुनाने वाले पंडित गौवर्ण को देने की इच्छा व्यक्त की।
पंडित गौवर्ण भी सोचने लगे कि मैं तो पंडित हूँ। राजपाट का लालच मेरे आत्म कल्याण के लिए उचित नहीं है और उनके मन में भी वैराग्य उत्पन्न हो गया। वे भी राजपाट के मोह से मुक्त हो गए।
इस तरह राजा आनंदपाल और पंडित गौवर्ण दोनों के मन में वैराग्य का भाव उत्पन्न हो गया।
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