Hindi, asked by dullmeenakshi80, 5 months ago

प्रश्न
किस आधार पर आज की शिक्षा को भारतीय मिट्टी की उपज नहीं कहा जा सकता ?
विवेकानंद तथा ग्वारनाथ की घटना द्वारा लेखक क्या पत्रा उजागर करना चाहता है ?
गापा कौन थे ? उन्होंने पत्रकार के प्रश्न का क्या जवाब दिया ?
भारत में आज भी गुरु-शिष्य परंपरा कहाँ दिखाई देती है।
हो आज के गुरुओं और पहले के गुरुओं में क्या अंता आ गण है।

भारतीयों के सार्वजनिक व्यवहार में गुरु शिस्य में परिवर्तन हुआ है। गुरु शेतन भोगी नहीं होते हैं की,
ही शिष्य को शुरुका देना पड़ता था। 10 हैका बिद्या खरीदने की यह क्रय-विक्रय पद्धति नित्यदा इस बार
मिट्टी की उपज नहीं है। यहाँ शिक्षणाला एक प्रकार के आश्रय भयत्रा मंदिर के समान थे। गुरु को
परमेश्वर ही समझा जाता था। शिव जुत्र से अधिक प्रिय थे। यहां सम्मान मिलला ही शक्ति पाने का सामान
है। प्राचीन काल में गुरु की सिधादान क्रिया उपका असाध्यात्मिक अनुष्ठान थी, परमेश्वर प्राप्ति का उनका पहला
माध्यम था। वह आज पेट पालो का भरिया बन गई है। प्रारंभ में विवेकानंद को भारत में मालवपूर्ण स्थान पर
नहीं हुआ पर उथ उन्होंने अपारका में लाभ कमा लिश, तो भारतवासी दोहे मालाएँ लेकर स्वागत की
स्यौहनाप सकुर को भी जब नोभेल पुरस्कार मिला, तो बंगाली लोग दौड़ यह राग अलापते हुए आया सामा
आमार सोनार कोतार सुपूत । दक्षिण भारत में कुछ समय पहले तक भरतनाट्यम और कथकली को को
पूछता था, जब उसे विदेशों में मार मिलने लगा. तो आश्चर्य से भारतवासी मोचने लगे. " अरे संस्कृति में
"लोगों को अपनी खूबसूरती नहाँ जसा आती, भगा पराए में होता
को देखकर मोहित हो जाते हैं। जिस देश में जन्य पाने के लिए मैक्समूलर ने जीवन पर प्रार्थना को स!
विवायो आज जर्मन और विलायत जाना स्वर जाने की तरह अनुभव करते है। एक बार सुप्रसिद्ध भारी
पहलवा गामा पुर्य आए। उन्होंने विशव के सारे पहलवानों को पुरती में चैलेंज दिया। अखबारों में यह समाचार

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Answered by salonichauhan1005
0

Answer:

लकड़हारा में सब को मारा

Answered by mr9768557
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Explanation:

विवेकानंद तथा रविंद्र नाथ की घटना द्वारा लेखक क्या सत्य उजागर करना चाहता है

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