प्रश्न . क्षेत्रवाद क्या है
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क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक ,सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। [1][2][3]
अपने क्षेत्र या भूगोल के प्रति अधिक प्रयत्न आर्थिक, सामाजिक व राजनितिक अधिकारों के चाह की भावना को क्षेत्रवाद के नाम से जाना जाता हैं. इस प्रकार की भावना से बाहरी बनाम भीतरी तथा अधिक संकीर्ण रूप धारण करने पर यह क्षेत्र बनाम राष्ट्र हो जाती हैं. जो किसी भी देश की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा हो जाता हैं. भारत सहित दुनिया के कई देशों में क्षेत्रवाद की मानसिकता को लेकर वहां के निवासी स्वयं को विशिष्ट मानते हुए, अन्य राज्यों व लोगों से अधिक अधिकारों की मांग करते हैं, आन्दोलन करते हैं. तथा सरकार पर अपनी मांगे मनवाने के लिए दवाब डाला जाता हैं. कई बार इस तरह की कोशिशों का नतीजा हिंसा के रूप में सामने आता हैं.
क्षेत्रवाद की उत्पत्ति में इतिहास का दोहरा सहयोग रहता है - सकारात्मक और नकारात्मक। सकारात्मक योगदान के अन्तर्गत शिव सेना का और नकारात्मक योगदान के अन्तर्गत द्रविड़ मुनेत्र कड़गम का उदाहरण दिया जा सकता है।
भारत प्राचीन काल से विशाल प्रादेशिक राज्यों वाला देश रहा है। प्राचीन काल में शक्तिशाली राजाओं के शक्तिहीन होने पर अधीनस्थ प्रदेशों और सामन्तों ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी तथा अपना स्वतंत्र शासन स्थापित कर लिया था।
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