Hindi, asked by saksham3957, 3 days ago

प्रश्नों का उत्तर दीजिए- १ कविता 'बहुत दिनों के बाद' किसकी रचना है?२ कभी क्या छूने की बात कह रहा है? ३ इस कविता का मूल प्रतिपाद्य क्या है? ४ 'बहुत दिनों के बाद 'कविता में कवि ने क्या आनंद लिया है?​

Answers

Answered by vanhijia
0

Answer:

कवि घुमक्कड़ स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें एक जगह टिक कर रहना नहीं आता था। वह कभी इधर तो कभी उधर घूमा करते थे , और जब वह अपने गांव लौट कर आते थे तो अपने गांव की मिट्टी से उन्हें बहुत लगाव था। वह यहां जितने समय रहते उतना समय उस माटी से अनुपम प्रेम किया करते थे। यहां जी भर के जीवन जिया करते थे , लौट आने के बाद पांचों इंद्रियों से सुख की प्राप्ति किया करते थे।  इस कविता में उन्हीं पांच इंद्रियों द्वारा प्राप्त किए गए सुख का वर्णन किया गया है।

पहली पंक्ति में आंखों की अनुभूति है उन्होंने यहां लौटकर गांव में पक्की पक्की सुनहरी फसलों को उसकी मुस्कान को लहलहाते खेत को देखा , जो कहीं और दूसरे देश में दुर्लभ था और वह भी इस प्रकार की फसल कवि के गांव तरौनी का वर्णन वैसे भी प्राकृतिक सुंदरता के तौर पर किया जाता है।

दूसरी पंक्ति में कानो की अनुभूति है जिसमें कवि अपने कानों से जी भर के वहां के स्वर को ग्रहण करते हैं। किस प्रकार धान कूटती किशोरियां गीत गाती हुई प्रतीत होती है। जैसे कोई कोयल को छोड़ दिया हो और वह कोयल अपने मधुर स्वर से पूरा वातावरण गुंजायमान कर रही हो। गांव में खेतों में काम करते हुए लोग गाना गाया करते हैं। इसी प्रकार धान कूटने या और अन्य सामूहिक कार्य करते हुए गीत गाना मनोरंजन के साथ – साथ शुभ का भी संकेत है। अर्थात अच्छी फसल हुई इसके कारण वहां की युवतियां गीत गाते हुए धान कूट रही है।तीसरी पंक्ति में नाक से सुगंध की अनुभूति है। बाबा नागार्जुन का गांव ताल – तलैया और मौलसरी के फूलों आदि से आच्छादित है। तरौनी गांव जाते जाते रास्ते में अनेकों ताल-तलैया और वृक्षों से आती दिव्य सुगंधें  , महसूस करने को मिलती है। उन्ही मौलसरी के सुगंध को कवि नागार्जुन ने यात्रा के बाद बहुत दिनों के बाद ग्रहण किया , जो अन्यत्र दुर्लभ है। कवि ने गांव लौटने पर जी भर मौलसरी के ताजे – ताजे फूलों की सुगंध को महसूस किया उसकी अनुभूति की।

चौथी पंक्ति में कवि ने स्पष्ट की अनुभूति की है कभी इस में कहते हैं कि अब मैंने बहुत दिनों के बाद अपने गांव की पगडंडियों पर चंदन वर्णी चंदन के समान जो धूल है उस को स्पर्श किया है। उसको महसूस किया है इसकी खुशबू और इसकी सुंदरता और कहां मिल सकती है। एक व्यक्ति के लिए अपनी मातृभूमि और अपने गांव परिजनों आदि से अच्छा और सुंदर दिव्य अनुभूति कहां मिल सकती है।

पांचवी पंक्ति में स्वाद की अनुभूति है जैसा कि उपर्युक्त पंक्तियों में बताया कि कवि के गांव तरौनी के रास्ते में ताल-तलैया और ढेर सारे वृक्षों और पुष्पों से आच्छादित पथ है। उसमें ताल मखाने जो खूब बहुतायत मात्रा में होते हैं , जिसे सिंघाड़ा भी कहा जाता है , उसका स्वाद उन्होंने खूब लिया। जी भर के गन्ने का रस पिया , उस का रस खाया जो बहुत दिनों के बाद उन्हें मिला। यह उनके आत्मा की तृप्ति का साधन है जो अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता , और उससे भी बढ़कर अपने गांव अपनी मिट्टी का स्वाद।छठी पंक्ति में कवि कहते हैं कि मैंने गांव लौटकर बहुत दिनों के बाद मैंने जी भर के जीवन को जिया है उसे भोगा है अपने रस , रूप , गंध , शब्द , स्पर्श आदि इन सभी को भरपूर से महसूस किया है जो अन्यत्र कहीं भी दुर्लभ है। अर्थात कभी अपने गांव में वास्तविक जीवन को जीते हैं।बहुत दिनों के बाद मुझे ग्रामीण प्रकृति का रमणीय एवं मोहक रूप देखकर आनंद का अनुभव हुआ। मैंने वहां की सुनहरी फसलों को मुस्कुराते पाया धान कूटती युवती किशोरियों को मस्त होकर कोमल कंठों से गीत गाते हुए देखा। बहुत दिनों के बाद मैंने गांव में ताजे – ताजे मौलसरी के फूलों की सुगंधित दिव्य सुगंध का अनुभव किया। बहुत दिनों के बाद मैंने पगडंडी पर बिखरी चंदन वर्णी धूल को छूकर अनुभव किया कवि उपर्युक्त पूरे काव्य में ग्रामीण वातावरण का वर्णन कर रहे हैं जो शहर में दुर्लभ है।बहुत दिनों के बाद जब कभी गांव जाते हैं तो वहां ताल मखाने जी भर कर खाते हैं। गन्ने को चूसते हैं उसका रस पीते हैं जो शहरी जिंदगी में उपलब्ध नहीं होता। गांव में ही कुछ समय तक रहकर जी भरकर रस , रूप , गंध , शब्द , शब्द , स्पर्श आदि अनेक प्रकार का अनुभव करते हैं। सभी इंद्रियों की अनुभूति करते हैं इसी का अनुभव वह इस काव्य में करते हैं।

Explanation:

Similar questions