प्रश्न - २ काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उमड़-घुमड़कर अभी
बादल ये बरसे हैं,
महक उठी धरती
और
सब सरसे हैं।
फूल-पत्ती-पौधे
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जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं जैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही कभी किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देख कर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
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