Hindi, asked by nehapegu884, 8 months ago

प्रश्न । कबीर ने हिंदुओं और मुसलमानों की किस चीज़ पर प्रश्न-चिह्न लगाया है ?
प्रश्न 8, 'बाढ़' अथवा 'पुस्तकालय' पर दृश्य लेखन तैयार कीजिए।
प्रश्न 9. 'दोपहर का भोजन' कहानी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 10. 'दोपहर का भोजन' कहानी की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 11 सिद्धेश्वरी घर का प्रबंध कैसे कर रही थी?
प्रश्न 12 'बालम, आवो हमारे गेह रे' कविता में वर्णित प्रियतम के विरह में विरहिणी की
दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
प्रश्न 13. कबीर के दुःखों का अन्त किस प्रकार होगा?
प्रश्न 14, कबीर के जीवन और रचनाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी प्रमुख का
विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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Answers

Answered by shishir303
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सारे प्रश्नों का उत्तर एक ही प्रश्न नें संभव नही है। कुछ चुनिंदा प्रश्नों के आंसर इस प्रकार हैं...

♦ कबीर ने हिंदुओं और मुसलमानों की किस चीज़ पर प्रश्न-चिह्न लगाया है ?

► कबीर ने हिंदू और मुसलमान दोनों द्वारा किए जा रहे धार्मिक आडंबरों और कर्मकांडों पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। उन्होंने हिंदुओं की मूर्ति पूजा और मुसलमानों द्वारा चिल्लाकर मस्जिद में अजान दिए जाने की व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। कबीर निर्गुण और निराकार ईश्वर के उपासक थे, वह धार्मिक आडंबर और पाखंड के खिलाफ थे।

♦ सिद्धेश्वरी घर का प्रबंध कैसे कर रही थी?

►सिद्धेश्वरी घर का प्रबंधन बेहद धैर्य और संयम के साथ कर रही थी। सिद्धेश्वरी के घर की हालत ठीक नहीं थी और वह भयंकर अभाव और निर्धनता का सामना कर रही थी। उस पर अपने तीन बेटों सहित पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। यदि वह ऐसी स्थिति में अपना धैर्य और संयम छोड़ देती तो उसके परिवार का भी खराब हो जाता। इसलिए वो धैर्य और संयम के साथ जनता से डरती रहती है और परिवार के अन्य कोई सदस्य भी का धैर्य और संयम भी कमजोर ना पड़े, इसके लिए वह सब से झूठ बोलकर सब का हौसला बनाए रखती है। इस तरह वह समझदारी और दृढ़ इच्छाशक्ति से अपना ममतामयी रूप अपनाकर अपने परिवार को एक सूत्र में बांधे रखती है। वो अपने परिवार के बीच प्रेम का वातावरण बनाए रखती है और इसके लिए उसे किसी बात पर झूठ बोलना पड़ता है तो वह झूठ बोलकर भी अपने परिवार के सदस्यों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बना कर रखती है, ताकि कोई भी मनमुटाव परिवार में पैदा ना हो। इस तरह सिद्धेश्वरी एक कुशल ग्रहणी के सारे गुण अपनाती है।

♦ 'बालम, आवो हमारे गेह रे' कविता में वर्णित प्रियतम के विरह में विरहिणी की  दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

कबीर ‘बालम आवो हमारे गेह रे’ कविता में ईश्वर का आह्वान कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हे प्रियतम अपनी एक झलक दिखाने को ही आ जाओ। कबीर कहते हैं कि जिस तरह कामिन स्त्री केवल अपने बालम यानि प्रेमी या पति का ही चिंतन ही करती रहती है, उससे मिलन की ही कामना करती है, उसी तरह वह भी उसी कामिन स्त्री के समान है, जो अपने प्रियतम रूपी ईश्वर के मिलन की कामना संजोये हुये हैं।

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