प्रश्न निम्न लिखित पदयांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
कहेउ लखन मुनि सील तुम्हारा | को नहीं जान विदित संसारा ।।
साता पितहि उरिन भरो जीके । गुर रिनु रहा सोच बड जीके ।।
सा जनु हमरेहि माथे कादा । दिन चली गए बयाज बड़ बढ़ा ।।
अब आनिय व्यवहरिआ बोली । तुरत देऊ में थैली खोली ।।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
भृगुबर परसु देखाबहु मोडी | बिप्र बिचारि बचौं नृप द्रोही ।।
मिले न कबहूँ सुभट रन गाढ़े। द्विज देवता धरहिं के बांटें ।।
अनुचित कही सबु लोग पुकारे । रघुपति सयनहि लखनु नेवारे ||
(क) यह संबाद किन-किल में हो रहा है? [1]
(ख) लक्ष्मण ने क्या व्यंग्य किया? [२]
(ग) लक्ष्मण के संवाद सुनकर पशुराम के स्वभव के स्वभाव ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की? [१]
(घ) उपयुक्त पंक्तियों में परशुराम के स्वभाव की कौनसी विशेषता दृष्टि गोचर हुई ?[१]
(ड) रेखांकित पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिये । [१]
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bbg
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