प्रश्न ८. निम्नलिखित किसी एक विषय पर १५-२०
पंक्तियों में निबंध लिखिए ।
१) पक्षी की आत्मकथा
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Answer:
पक्षी की आत्मकथा
संसार में अनगिनत प्राणी निवास करते है। उन्हें जलचर, थलचर और नभचर प्राणी जैसे तीन भागों में बाँटा जाता है। जलचर यानि पानी में रहने वाले। थलचर यानि धरती पर चलने-फिरने और रहने वाले मनुष्य और कई तरह के पशु. कीड़े-मकोडे, सौंप-बिच्छ आदि। नभचर यानि आकाश के खुलेपन में उड़ पाने में समर्थ पक्षी जाति के प्राणी। इन के पंख होते है. जिन के बल पर ये उड़ पाने में समर्थ हुआ करते हैं। स्पष्ट है कि मैं पक्षी यानि नभचर श्रेणी का प्राणी हूँ। मेरा अधिवास या घर-घोंसला आदि जो कुछ भी कहो, वह वृक्षों की शाखाओं पर ही अधिकतर हुआ करता है-यद्यपि मेरे कुछ भाई पेडों के तनों में खोल बना कर, घरों के रोशनदानों, छतों, पहाडी गारों या जहाँ कहीं भी थोडी-सी जगह मिल जाए. वहीं अपना नन्हा-सा नीड (घोंसला) बना कर रह लिया करते हैं। हाँ, टिपीहर (Land Bird) जैसे मेरे कुछ जाति भाई धरती के ऊपर या भीतर कहीं खोल बना कर भी रह लेते हैं।
अपने सम्बन्ध में और कुछ बताने से पहले मैं अपनी उत्पत्ति के बारे में भी बता दूं तो अच्छा रहेगा। संसार में पक्षी, पशु और मनुष्य आदि जितने भी प्राणी हैं, उन्हें क्रमशः अण्डज, उद्भिज, पिण्डज और स्वदेज चार प्रकार के माना गया है। जो प्राणी अण्डे से जन्म लेते हैं, उन्हें अण्डज कहा जाता है। जो बीज आदि बोने से जन्म लिया करते हैं, उन्हें उद्भिज कहा और माना जाता है। जो शरीर से सीधे उत्पन्न हुआ करते हैं, उन्हें पिण्डज कहा गया है। इसी प्रकार जिन प्राणियों का जन्म स्वेद अर्थात् पसीने से हुआ करता है. उन्हें स्वदेज कहा जाता है। धरती पर विचरण करने वाले मनुष्य और तरह-तरह के पशु पिण्डज प्राणी माने गए हैं। जिन्हें नभचर कहा-माना जाता है, अर्थात् आकाश के खुले वातावरण में विचरण करने या उड़ सकने वाले प्राणी अण्डज हुआ करते हैं। दनस्पतियों आदि उदभिज कहलाती हैं और जलचर जीव प्रायः स्वदेज होते हैं। स्पष्ट है कि हम पक्षी अण्डज जाति के प्राणी हैं।