प्रश्ना, निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पदिए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
बहुत घुटन है बंद घरों में, खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियां खोल, किरणों को मुस्काने दो।
ऊंचे-ऊंचे भवन उठ रहे पर आंगन का नाम नहीं,
चमक दमक आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं,
लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो।
हर मां अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं।
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं।
बाबा की सूनी आंखों में चुभता तिमिर भागने दो।
हर उदास राखी गुहारती भाई का वह प्यार कहां?
डरे डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहा?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखरने दो।
क) ऊंचे-ऊंचे भवन उठ रहे हैं पर आंगन का नाम नहीं-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
ख) सूर्य द्वार से ही क्यों लौट जाएगा।
ग) आज रिश्तों के डरे डरे होने का कारण आप क्या मानते हैं?
घ) तिमिर'शब्द का अर्थ लिखिए।
ङ) कवि ने क्या संदेश दिया है?
ना रिते।
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