प्रश्न-१-निम्नलिखित पंक्तियों को पढिए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
त्रिजटा सन बोली कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी।।
तजौं देह करू बेगि उपाई । दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई ।।
आनि काट रचु चिता बनाई । मातु अनल पुनि देहि लगाई ।
सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी।।
क-त्रिजटा कौन थी?
ख-सीता जी ने त्रिजटा से क्या निवेदन किया?
ग-त्रिजटा सीता जी को क्या समझा रही थी?
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प्रश्न-१-निम्नलिखित पंक्तियों को पढिए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
त्रिजटा सन बोली कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी।।
तजौं देह करू बेगि उपाई । दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई ।।
आनि काट रचु चिता बनाई । मातु अनल पुनि देहि लगाई ।
सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी।।
क-त्रिजटा कौन थी?
ख-सीता जी ने त्रिजटा से क्या निवेदन किया?
ग-त्रिजटा सीता जी को क्या समझा रही थी?
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