प्रश्न. निम्नलिखित विषयों पर 60 से 70 शब्दों में निबंध लिखिए
ही नहीं है।
कृति-स्वाध्याय
(1) बरसात का एक दिन
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Answer:
भारत में छह ऋतुएँ पाई जाती हैं-ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत। इनमें वसंत को ऋतुराज और वर्षा को ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है। वास्तव में ‘वर्षा’ ही वह ऋतु है जिसका लोगों द्वारा सर्वाधिक इंतजार किया जाता है।
कुछ समय पूर्व तक भारतीय कृषि को ‘मानसून का जुआ’ कहा जाता था। भारतीय कृषि पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर होती थी तथा गर्मी के मारे पशु-पक्षी, मनुष्य सभी बेहाल हो जाते थे। छोटी-छोटी वनस्पतियाँ सूख जाती थीं, धरती गर्म तवा जैसी हो जाती थी, ऐसे में सभी अत्यंत उत्सुकता से वर्षा का इंतजार करते थे।
मुझे याद है-आषाढ़ माह के पंद्रह दिन यूँ ही तपते-तपते बीत चुके थे। गर्मी अपने चरम पर थी। सभी को वर्षा का इंतजार था, परंतु बादल मानो रूठ चुके थे। बच्चे कई बार टोली बनाकर जमीन पर लोट-लोटकर ‘काले मेघा पानी दे, पानी दे गुड़धानी दे’ कहकर बादलों को बुला चुके थे, पर सब बेकार सिद्ध हो रहा था।
दोपहर का समय था। अचानक बादलों के कुछ टुकड़ों ने पहले तो सूर्य को ढंक लिया, फिर वे पूरे आसमान में छा गए। देखते-ही-देखते हवा में शीतलता का अहसास होने लगा। दिन में ही शाम होने का एहसास होने लगा। अचानक बिजली चमकी, बादलों ने अपने आने की सूचना मानो सभी को दी और आसमान से शीतल बूँदें गिरने लगीं। ये बूंदें घनी और बड़ी होने लगीं। धीरे-धीरे झड़ी लगी। हवा के एक-दो तेज झोंके आए और वर्षा शुरू हो गई।
वर्षा का वेग बढ़ने के साथ-साथ हमारे मन में उत्साह एवं उल्लास बढ़ता जा रहा था। हम बच्चे कब रुकने वाले थे। हम नहाने के लिए घर से निकल आए। ग्रीष्म ऋतु ने हमें जितना तपाया था, वह सारी तपन हम वर्षा में शीतल कर लेना चाहते थे। वर्षा भी कितनी शीतल और सुखद लगती है, यह तो भीगने वालों से ही जाना जा सकता है, पर मेघ की गरजना सुनकर आम आदमी क्या सीता विहीन श्रीराम भी डरने लगे थे-
“घन घमंड गरजत नभ घोरा।
प्रिया हीन डरपत मन मोरा।।”
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