प्रश्न.१० दिए गए अपठितगद्यांश को पढकर निचे दिए गए प्रश्नों के उत्तरलिखिए I
कबीर एक प्रसिद्ध और उच्च कोटि के संत थे ।इनका जन्म सन १३९८ में वाराणसी में जनश्रुति के अनुसार ये नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पति को तालाब के किनारे मिले थे- उन्होने बालक को उठा लिया और लालन पालन किया-| कबीर पढ़े लिखे नहीं थे - परन्तु इनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था । ये कवि, भक्त, महात्मा और समाज सुधारक थे |अध. विश्वास और आडंबरों का विरोध करते थे | उदारता सहीष्णता प्रेम इनके स्वभाव- और मानव. में समाहित थे। ये ईश्वर के निर्गुण रूप में विश्वास करते थे ।इन्होने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति सत्य और पवित्र हृदय से ही हो सकती है | इन्होने बड़े छोटे का भेद मिटाकर- हिन्दू और मुसलमानों के बीच धार्मिक एकता और भाईचारा लाने का प्रयास किया ये उस समय के समाज में परिवर्तन लाने वाले बहुत बड़े समाज सुधारक रहे हैं- ।
1. कबीर का जन्म कहाँ हुआ था ?
2. कबीर का लालन पालन किसने-किया था?
3. कबीर किसका विरोध करते थे?
4. कबीर ईश्वर के किस रूप में विश्वास रखते थे।
5. कबीर के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति कैसे हो सकती है।
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Answer:
1. कबीर साहेब का (लगभग 14वीं-15वीं शताब्दी) जन्म स्थान काशी, उत्तर है। कबीर साहेब का प्राकट्य सन 1398 (संवत 1455), में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममूहर्त के समय कमल के पुष्प पर हुआ था. कबीर साहेब (परमेश्वर) जी का जन्म माता पिता से नहीं हुआ बल्कि वह हर युग में अपने निज धाम सतलोक से चलकर पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।
2. कबीरदास जी के जीवन वृत्त के सम्बन्ध में जन-साधारण तथा विशेषकर कबीर–पंथियों में अनेक कथाएं प्रचलित हैं किन्तु उनके जन्म की प्रामाणिक पुष्टि अनुराग सागर से ही होती है। वहाँ स्पष्ट वर्णित है कि नीरू तथा उसकी पत्नी नीमा ने उनका पालन-पोषण किया।
3. साहित्यिक परिचय: कबीरदास भक्तिकाल की निर्गुण धारा के ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। इन पर नाथों. सिद्धों और सूफी संतों की बातों का प्रभाव है। वे कमकांड और वेद-विचार के विरोधी थे तथा जाति-भेद, वर्ण-भेद और संप्रदाय-भेद के स्थान पर प्रेम, सद्भाव और समानता का समर्थन करते थे: कबीर घुमक्कड़ थे।
4. कबीर अपने आप को दीवाना कहता है क्योंकि उनके अनुसार ईश्वर निर्गुण, निराकार, अजय-अमर और अविनाशी है और उन्होंने ने इस परमात्मा का आत्म साक्षात्कार कर लिया है अब वे राग-द्वेष, अंहकार और मोह-माया से दूर होकर निर्भय हो चुके हैं अत: ईश्वर के सच्चे भक्त होने के कारण दीवाने हैं।
5. (1) कबीरदास जी के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति मंदिर या मस्जिद में जाकर नहीं होती। (2) ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता नहीं है। (3) कबीर ने मूर्ति-पूजा जैसे बाह्य-आडम्बर का खंडन किया है। कबीर ईश्वर को निराकार ब्रह्म मानते थे।
1.कबीर का जन्म वाराणसी में हुआ था l
2.कबीर का लालन पालन नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पति ने किया था l
3. कबीर अध. विश्वास और आडंबरों का विरोध करते थे l
4. कबीर ईश्वर के निर्गुण रूप में विश्वास करते थे l
5. कबीर के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति सत्य और पवित्र हृदय से ही हो सकती है l