प्रश्न1 मानव व्यक्तित्व निर्माण में किसकी प्रधानता होती है?
प्रश्न 2 चरित्र की क्या महिमा है?
प्रश्न 3 चरित्र किसे कहते है?
प्रश्न 4 चरित्र की क्या विशेषता है?
प्रश्न 5 चरित्र के आभाव का क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है?
प्रश्न 6 सद्चरित्र के क्या लाभ है?
प्रश्न 7 उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए?
Answers
Answer:
1.) बीज-रूप में ये प्रवृत्तियां मनुष्य के स्वभाव में सदा रहती है। फिर भी मनुष्य इसका गुलाम नहीं है। अपनी बुद्धि से वह इन प्रवृत्तियों की ऐसी व्यवस्था कर लेता है कि उसके व्यक्तित्व को उन्नत बनाने में ये प्रवृत्तियां सहायक हो सकें। इस व्यवस्था के निर्माण में ही मनुष्य का चरित्र बनता है।
2.) चरित्र मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है। अच्छा आचरण एक साधारण मानव को भी पूज्यनीय बनाता है। जीवन में धन, बल व शरीर के खत्म हो जाने पर भी मनुष्य का कुछ नहीं बिगड़ता। समाज में जिसका एक बार चरित्र गिर गया उस प्राणी के पास कुछ भी शेष नहीं बचता।
3.) आचरण, चाल-चलन, सदाचार चरित्र है |
4.) चरित्र ही है जो अमीर आदमी और सफल आदमी के बीच अंतर पहचानने में मदद करता है। आपका चरित्र ही आपका व्यक्तित्व बताता है |
5.) चरित्र के अभाव में वे अस्तित्वहीन हो गए। तन-मन की पवित्रता, कर्तव्य की भावना, परोपकार और समाज की सेवा भी चारित्रिक गुणों में ही आती है।
6.) यह मसजिद माई परम दयालु है । सरल हृदय भक्तों की तो वह माँ है और संकटों में उनकी रक्षा अवश्य करेगी । जो उसकी गोद में एक बार बैठता है, उसके समस्त कष्ट दूर हो जाते है । जो उसकी छत्रछाया में विश्राम करता है, उसे आनन्द और सुख की प्राप्ति होती है ।
7.) संकट के समय माँ ही सहारा के रूप में खड़ी रहती है।