Hindi, asked by karanghagta9, 4 months ago

प्रश्न2. ननम्नलिखित पद्यांश को ध््यनपर्क पढ़िए और पछ गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (5×1=5)

माटी, तझ प्रणाम !

मेरे पण्य िेश की माटी, त ककतनी अलर्राम !

तझ लर्ा माथे से सारे कष्ट हो र्ए िर, क्षण -र्र में ही र्ल र्या मैं

शत्र यंत्रणा क्रर, सख - स्फनत का इस काया में हआ पनः संचार-

लर्ता जैसे आज यर्ों के बाि लमला ववश्राम !

माटी, तझ प्रणाम!

तमस बबछड़ लमला प्राणों को कर्ी न पल र्र चैन,

तेरे िशषन हत रात - दिन तरस रहे थे नैन, धन्य हआ तेरे चरणों में आकर यह अक्स्तत्व -

हई साधना सफल, र्तत को प्राप्त हो र्ए राम l

माटी तझ प्रणाम l मत

अमर मवत्तक l लर्ती त पारस से बढ़कर आज, मरणशील हम, ककत अमर

अमर त, हैअमत्यष यह धाम

हम मर - मरकर अमर करेंर्े तेरा उज्जज्जवल नामl

(क) कवर् ककसे प्रणयम कर रहय है?

(I) मातर्लम की वस्तओ को (II) मातर्लम की हररयाली को

(III) पावन माटी से बनी मनत को (IV) मातर्लम की पावन लमट्टी को

(ि) मयतभलम को प्रणयम करने के बयद कै सी अनभनत होती है?

(I) सारे कष्ट िर होने का (II) नवीन चतथी की अनर्नत होने का

(III) शरीर को आहत करने वाली यंत्र नाम से ववस्मनत का (IV) उपयतत सर्ी का

(ग) मयटी से बबछड़नेतथय लमिने पर कवर् को कै सय अनभर् होतय है?

(I) बेचैनी और साधना सफल होने का (II) सखि तथा साधनाएं सफल होने का

(III) बेचैनी तथा साधना असफल होने का (IV) सखि तथा साधना असफल होने का

(घ) 'अमर मवत्तक ! िगती त पयरस से ब़िकर आज' इस पांक्तत में ककस भयर् की अलभव््क्तत हई है?

(I) लमट्टी कर्ी मरती नहीं हैतथा पारस जैसी है

(II) लमट्टी में अमरत्व हैजो उसे पारस से बढ़कर बना िेता है

(III) लमट्टी में लोहे को सोना बनाने का र्ण समादहत है

(IV) मातर्लम की लमट्टी पारस से बढ़कर है, तयोंकक उसके स्पशष से सर्ी यातनाएुँिर हो जाती

हैंl ​

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Answered by Blinksairene
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Explanation:

can you translate it or just write in English. I apologise

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