प्रश्न6.
आपकी पाठ्यपुस्तक की कविता 'अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?' के आधार पर हमारे जीवन भर पड़ने वाले प्रभावों को
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Answer:
हिन्दुस्तानी धन कमाने की चेष्टा से देश छोड़कर विदेशों में बस गये हैं। वे अपनी ऊर्जा और ज्ञान का उपयोग विदेशों में कर रहे हैं जिससे वे देश सम्पन्न हो रहे हैं। उन देशों की संस्कृति और सभ्यता उन लोगों पर प्रभाव डाल रही है। वे अपने देश, अपने समाज, अपनी संस्कृति सभ्यता को भूल चुके हैं। यही इस पंक्ति का आशय है।
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Answer:
पैसे कमाने के प्रयास में भारतीयों ने देश के बाहर स्थानांतरित किया है। उनके देशों की समृद्धि उनके समय और ज्ञान को अन्य देशों में निवेश करने का परिणाम है। ये लोग उन देशों की संस्कृति और सभ्यता से प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने अपने देश, समाज, संस्कृति और सभ्यता की दृष्टि खो दी है। इस पंक्ति का यही अर्थ है।
Explanation:
आपकी पाठ्यपुस्तक की कविता
मार्कंडेय कथाएँ सामाजिक संरचना की गतिशीलता की बहुत स्पष्ट समझ प्रदान करती हैं। इस गतिशीलता द्वारा सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक तत्वों के प्रभाव का समर्थन किया जाता है। स्वतंत्र भारत की सामाजिक जागरूकता में भारतीय समाज का परिष्कृत रूप कैसे उभर कर सामने आता है, जहाँ राष्ट्र की स्वतंत्रता का मुख्य प्रश्न मध्यवर्गीय महत्त्वाकांक्षाओं में पीछे छूट गया था और उसके स्थान पर तेजी से बढ़ रही अन्य माँगों ने उसकी जगह ले ली थी। इन्हीं इच्छाओं के कारण ग्रामीण जनता का सामाजिक यथार्थ अनेक प्रकार की अनियमितताओं का शिकार हो रहा था। भोजन, शिक्षा, बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से जूझते हुए "व्यक्ति" शून्य में अपनी "स्थिति" खोता हुआ दिखाई दिया। विकास की बुनियादी बातों का वास्तविक घटक अब मौजूद नहीं था मार्कंडेय ने इन सामाजिक मुद्दों के स्रोत की पहचान करने का प्रयास किया है।
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