प्रशन 1 भारत के सविंधान की प्रकृति सघात्मक है।सकं टकाल मेंइसका स्वरुपर एकात्मक हो जाता है।व्याख्या
कीजि ए।
प्रशन 2 भारत मेंसघं तथा राज्यों के बीच वि धायी, प्रशासनि क तथा वि त्तीय सम्बन्धों का वर्णनर्ण कीजिए।
प्रशन 3 भारत के चनु ाव आयोग के सगं ठन,कार्यों एवंआलोचनाओंका वि वेचन कीजिए।
प्रशन 4 राजनीति क दल-बदल का क्या अर्थ है? इसके मख्ु य कारणों और राजनीति क परि णामों का वर्णनर्ण करें
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1)भारत, क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से अत्यधिक विशाल और बहुत अधिक विविधताओं से परिपूर्ण है, ऐसी स्थिति में भारत के लिए संघात्मक शासन व्यवस्था को ही अपनाना स्वाभाविक था और भारतीय संविधान के द्वारा ऐसा ही किया गया है। संविधान के प्रथम अनुच्छेद में कहा गया है कि ’’भारत, राज्यों का एक संघ होगा।’’ लेकिन संविधान-निर्माता संघीय शासन को अपनाते हुए भी भारतीय संघ व्यवस्था की दुर्बलताओं को दूर रखने के लिए उत्सुक थे और इस कारण भारत के संघीय शासन में एकात्मक शासन के कुछ लक्षणों को अपना लिया गया है। वास्तव में, भारतीय संविधान में संघीय-शासन के लक्षण प्रमुख रूप से और एकात्मक शासन के लक्षण गौण रूप से विद्यमान हैं।
2) भारत, राज्यों का एक संघ है। भारत के संविधान को विधायपालिका, कार्यपालिका और केंद्र तथा राज्यों के बीच वित्तीय शक्तियों में विभाजित किया गया है, जो संविधान को संघीय विशेषता प्रदान करता है जबकि न्यायपालिका एक श्रेणीबद्ध संरचना में एकीकृत है। भाग XI में अनुच्छेद 245-255 केंद्र और राज्यों के बीच विधायी संबंधों के विभिन्न पहलुओं का आदान-प्रदान करता है। संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न प्रावधान तय किए गए हैं।
3) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में संसद, राज्य विधानमंडल के साथ साथ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनावों के अधीक्षण,निर्देशन और निर्वाचन नामावलियों की तैयारी पर नियंत्रण रखने के लिए निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है | अतः निर्वाचन आयोग केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर होने वाले चुनावों के लिए उत्तरदायी है
4)दल-बदल का साधारण अर्थ एक-दल से दूसरे दल में सम्मिलित होना हैं। संविधान के अनुसार भारत में निम्नलिखित स्थितियाँ सम्मिलित हैं -
- किसी विधायक का किसी दल के टिकट पर निर्वाचित होकर उसे छोड़ देना और अन्य किसी दल में शामिल हो जाना।
- मौलिक सिध्दान्तों पर विधायक का अपनी पार्टी की नीति के विरुध्द योगदान करना।
- किसी दल को छोड़ने के बाद विधायक का निर्दलीय रहना।
- परन्तु पार्टी से निष्कासित किए जाने पर यह नियम लागू नहीं होगा।