प्रशनाः 2- अत्र प्रधानाचायमय ्प्रनत एकीं प्राथनय ा-ऩत्रम ्लऱखखतम ्अब्स्त। मींजूषाताः समुचचतीं ऩदीं चचत्वा ररक्तस्थानानन ऩूरयन्तु- (3)
(अनुग्रहीं, शत-प्रनतशतम, ्प्रधानाचायायाः, ननवेदनीं, इच्छालम, रुचचाः)
सेवामाभ,्
भान्मा्(i)…………
डी .ए.वी पवद्मारम्
फम्फई नगयभ ्
भहोदमा:
सपवनमां (ii)____ अन्स्त मत् अहां अष्टम्मा् कऺामा: छात्र् अन्स्भ। सांस्कृत -बाषामाां भभ अतीव (iii)___अन्स्त। अहभ ्
िततवषं सांस्कृते (iv)___ अांकान्िाप्नोलभ। अहभ ्एताभ ्बाषाभ ्अचिभ - कऺामाभ ्अपऩ ऩहितुभ ्(v)___। अत् नवम्माां
कऺामाभ ्सांस्कृत-ऩिनाम भह्मभ ्अनुभततां िदाम (vi)___ कुवन्ज तुबवन्त् इतत िाथजमे।
धन्मवादा् ।
बवताभ ्लशष्म्
योहन्
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