Political Science, asked by kapoorarti954, 7 months ago


प्रष्न 1. राजनीतिषास्त्र को परिभाशित करते हुए इसके अध्ययन क्षेत्र की विस्तारपूर्वक व्याख्या
कीजिए/​

Answers

Answered by kalivyasapalepu99
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प्रश्न 1.

राजनीति विज्ञान के परम्परावादी परिप्रेक्ष्य के प्रमुख लक्षण बताइए।

उत्तर:

राजनीति विज्ञान के परम्परावादी परिप्रेक्ष्य के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

राजनीति विज्ञान का परम्परावादी दृष्टिकोण आदर्शवादी, दार्शनिक एवं कल्पनावादी है। इसके अन्तर्गत मूल्यों, आदर्शों एवं नैतिकता को

महत्त्व दिया गया है।

परम्परागत दृष्टिकोण ऐतिहासिक एवं वर्णनात्मक पद्धतियों पर बल देता है तथा अध्ययन का विषय राज्य, सरकार एवं संस्थाओं को मानता है।

परम्परागत दृष्टिकोण के आधार पर राजनीति विज्ञान की परिभाषाओं को चार वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

राज्य के अध्ययन के रूप में

सरकार के अध्ययन के रूप में

राज्य और सरकार के अध्ययन के रूप में

राज्य, सरकार और व्यक्ति के अध्ययन के रूप में।

यह राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संकीर्ण पृथक्करण करता है।

संस्थावादी होने के कारण यह राजनीति के प्रति स्थैतिकता का दृष्टिकोण रखता है।

प्रश्न 2.

राजनीति विज्ञान के आधुनिक परिप्रेक्ष्य के लक्षण बताइए।

उत्तर:

राजनीति विज्ञान के आधुनिक परिप्रेक्ष्य के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

राजनीति विज्ञान के अध्ययन में मानव व्यवहार, शक्ति, सत्ता, प्रभाव, निर्णय प्रक्रिया, तर्क, अनुभवपरक, यथार्थवादी तथ्यात्मक अध्ययन एवं मनोवैज्ञानिक पद्धतियों को समाहित किया गया है।

प्रक्रियात्मक पहलू पर बल देने के कारण यह राजनीति के प्रति गत्यात्मक दृष्टिकोण रखता है।

मनोवैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय पद्धति के अनुकरण से यह परिप्रेक्ष्य राजनीति के अनौपचारिक पहलुओं का अध्ययन करता है।

वैज्ञानिक पद्धति सहित प्राकृतिक विज्ञान की प्रविधियों का प्रयोग करता है।

सिद्धांत की अनुभवमूलक, मूल्य निरपेक्ष, वस्तुनिष्ठ एवं व्यवहारपरक अवधारणा विकसित करना चाहता है।

यह सार्वभौमिक राजनीति का अध्ययन करता है।

यह अन्तर अनुशासनात्मकता के माध्यम से समाज विज्ञानों की एकता निर्मित करना चाहता है।

प्रश्न 3.

आधुनिक दृष्टिकोण किस प्रकार राजनीति विज्ञान को विज्ञान बना देता है?

उत्तर:

राजनीति विज्ञान के आधुनिक दृष्टिकोण ने राजनीति विज्ञान के अध्ययन क्षेत्र को व्यापकता प्रदान की है। अब राजनीति विज्ञान में राज्य और सरकार के साथ – साथ राजनीतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन भी किया जाता है। मनुष्य के राजनीतिक व्यवहार की और मानव के राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करने वाले राजनीतिक तत्वों के साथ-साथ गैरराजनीतिक तत्वों का भी अध्ययन किया जाता है। अध्ययन पद्धति में सांख्यिकीय, गणितीय व सर्वेक्षणात्मक पद्धतियों आदि का सहारा लिया जाने लगा है।

ये पद्धतियाँ यथार्थवादी हैं जो कि अध्ययन के लिए यथार्थवादी मूल्य निरपेक्ष एवं वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण का प्रयोग करती हैं। वैज्ञानिक पद्धतियों के उपयोग ने राजनीतिक विज्ञान के क्षेत्र को और भी व्यापक बना दिया है तथा विभिन्न समाज विज्ञानों के मध्य सार्थक संवाद एवं सम्प्रेषण की स्थितियाँ प्रकट हो गयी हैं। इस प्रकार आधुनिक दृष्टिकोण ने जहाँ राजनीति विज्ञान के क्षेत्र को व्यापकता प्रदान की है वहीं मूल्यमुक्तता भी प्रदान की है। वैज्ञानिक अध्ययन समस्याओं के समाधान में सहायक होता जा रहा है। अतः आधुनिक दृष्टिकोण ने आज राजनीति विज्ञान को विज्ञान बना दिया है।

प्रश्न 4.

राजनीति विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता इसकी पुष्टि में कोई दो तर्क दीजिए।

उत्तर:

राजनीति विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। इसकी पुष्टि में दो तर्क निम्नलिखित हैं

(i) विज्ञान की भाँति प्रयोग और परीक्षण सम्भव नहीं – राजनीति विज्ञान में प्रयोग और परीक्षण सम्भव नहीं हैं। प्राकृतिक विज्ञानों की विषय-वस्तु निर्जीव पदार्थ, जैसे- गर्मी, सर्दी, ध्वनि, प्रकाश आदि होते हैं।

अतः प्रयोग और परीक्षण प्रयोगशालाओं में कहीं भी किया जा सकता है और सही निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं, जबकि राजनीति विज्ञान एक समाज विज्ञान है। इसकी विषय – वस्तु सजीव, संवेदनशील मनुष्य व उसका व्यवहार है जो हर परिस्थिति के अनुसार बदलता रहता है।

(ii) कार्य – कारण के पारस्परिक सम्बन्धों को निश्चित करना कठिन-विज्ञान का यह एक मूलभूत लक्षण है। इसमें कार्य-कारण सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। राजनीति विज्ञान कल्पना, अनुमान एवं सम्भावनाओं पर ही कार्य करता है। अतः राजनीति विज्ञान में प्रत्यक्षतः कार्य-कारण सम्बन्ध स्थापित नहीं किये जा सकते हैं। इसलिए राजनीति विज्ञान को विज्ञान नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 5.

हर्बर्ट साइमन राजनीति विज्ञान को किस रूप में स्पष्ट करते हैं?

उत्तर:

हर्बर्ट साइमन प्रथम विचारक थे जिन्होंने दार्शनिक और आर्थिक विचारों को सम्बन्धित किया था। ये राजनीति विज्ञान के आधुनिक दृष्टिकोण के समर्थक थे। इन्हें 1978 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। इनके द्वारा लिखित ग्रन्थ ‘प्रशासनिक व्यवहार’ निर्णय प्रक्रिया के अध्ययन की दृष्टि से उल्लेखनीय ग्रन्थ माना जाता है। हर्बर्ट साइमन ने राजनीति विज्ञान को निर्णय निर्माण का विज्ञान माना है।

इनका मत है कि निर्णय का अर्थ विभिन्न विकल्पों में से चुनाव करना है। जब कोई समस्या सामने होती है तो । उसके विभिन्न विकल्प होते हैं। निर्णयकर्ता को अधिकतम लाभ या वांछित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उनमें से चयन करना पड़ता है। मानव की बुद्धिमता इसमें है कि वह ऐसे विकल्प का चुनाव करे जिससे अधिकतम सकारात्मक तथा न्यूनतम नकारात्मक परिणाम निकले।

साइमन के अनुसार, निर्णय निर्माण तार्किक (विवेकशील) चयन पर आधारित होना चाहिए। इन्होंने माना कि राजनीति विज्ञान सरकार को अध्ययन है और सरकार का मुख्य कार्य निर्णय निर्माण करना है। अतः राजनीति विज्ञान को निर्णय प्रक्रिया का विज्ञान कहा जा

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