प्रतिभा छुपाये नहीं छुपती' कथन के आधार पर मकबूल फिदा हुसैन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
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प्रतिभा छुपाये नहीं छुपती' कथन के आधार पर मकबूल फिदा हुसैन के व्यक्तित्व पर प्रकाश :
मकबूल में आर्ट को समझने की प्रतिभा जन्मजात थी। सबसे पहले उन्होंने बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल के ड्राइंग मास्टर की ब्लैक बोर्ड पर बनाई गई चिड़िया का हूबहू नकल की। उस चिड़िया को देखकर ऐसा लगता था जैसे ब्लैक बोर्ड से उड़कर चिड़िया मकबूल की स्लेट पर आ बैठी हो। इससे उसके जन्मजात कलाकार होने का पता चलता है।
दुकान पर बैठे बैठे मकबूल के भीतर का कलाकार मचलता रहता था। जनरल स्टोर के सामने से जो भी गुजर जाता मकबूल उसके स्केच तैयार करता रहता था। जैसे दुकान के आगे से गुजरने वाली नौकरानी जो हमेशा घुंघट में रहती थी , गेहूं की बोरी उठाई मजदूर की पेंच वाली पगड़ी का स्केच , बुर्खा पहने औरत और बकरी का बच्चा आदि। इससे पता चलता है कि दुकान पर बैठे बैठे मकबूल के भीतर का कलाकार दुकान के कार्यों में भी कलाकारी ढूंढ लेता था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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लेखक जन्मजात कलाकार है’। इस आत्मकथा में सबसे पहले यह कहाँ उद्घाटित होता है?
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Explanation:
लेखक को अपने दादा से विशेष लगाव था जिसका प्रमाण इस घटना से मिलता है कि जब लेखक के दादाजी की मृत्यु हुई तो वह अपने दादाजी के कमरे में ही बंद रहने लगा। वह अपने दादाजी के बिस्तर पर उनकी भूरी अचकन ओढ़कर - इस प्रकार सोता था मानो वह अपने दादाजी से लिपटकर सोया हुआ है।