प्रतिभा का पैमाना मेधा की ऊँचाई नापता,
मानवता का मीटर बन, मन की गहराई मापता ।
आत्मा को आवृत्त कर दें स्नेह प्रभा परिधान से,
न करें अर्चना हम सब मिलकर वसुधा के जयगान से । (STD 8 : HINDI POEM - धरती का आंगन महके ) I want it's meaning
Answers
प्रतिभा का पैमाना मेधा की ऊँचाई नापता,
मानवता का मीटर बन, मन की गहराई मापता ।
आत्मा को आवृत्त कर दें स्नेह प्रभा परिधान से,
न करें अर्चना हम सब मिलकर वसुधा के जयगान से
यह पंक्तियाँ धरती का आंगन महके कविता से ली गई है | यह कविता डॉ. प्रकाश जी द्वारा लिखी गई है | कविता में लेखक जी ने कर्म , ज्ञान , विज्ञान के बारे में वर्णन किया है|
हमारी प्रतिभा हमारी बुधि और हमारा मानवीय व्यवहार हमारे चरित्र की पहचान होती है | मनुष्य के साथ हमारा व्यवहार स्नेहपूर्ण होना चाहिए | हमारी अंतर आत्मा स्नेह रूपी , दया , भावना की तरह होनी चाहिए | सब को मिलकर वसुधा के गुणगान के गीत गाने चाहिए और उसकी प्रार्थना करनी चाहिए |
Answer:
प्रतिभा का पैमाना मेधा की ऊँचाई नापता,
मानवता का मीटर बन, मन की गहराई मापता ।
आत्मा को आवृत्त कर दें स्नेह प्रभा परिधान से,
न करें अर्चना हम सब मिलकर वसुधा के जयगान से । (STD 8 : HINDI POEM - धरती का आंगन महके ) I want it's meaning
Explanation:
प्रतिभा का पैमाना मेधा की ऊँचाई नापता,
मानवता का मीटर बन, मन की गहराई मापता ।
आत्मा को आवृत्त कर दें स्नेह प्रभा परिधान से,
न करें अर्चना हम सब मिलकर वसुधा के जयगान से । (STD 8 : HINDI POEM - धरती का आंगन महके ) I want it's meaning