प्रतीकात्मक मुद्रा के सिद्धांत का वर्णन कीजिए।
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¿ प्रतीकात्मक मुद्रा के सिद्धांत का वर्णन कीजिए।
✎... ‘प्रतीकात्मक मुद्रा’ मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा शुरू की गई एक विवादास्पद योजना थी। कुछ इतिहासकारों के मतानुसार मोहम्मद बिन तुगलक ने ‘प्रतीकात्मक मुद्रा’ का प्रचलन अपने खाली खजाने को भरने के लिए किया था, क्योंकि उस समय अति विस्तारवादी योजनाओं तथा अत्याधिक उदारता की वजह से सरकारी खजाना खाली हो चुका था। कुछ अन्य इतिहासकारों के मतानुसार उन दिनों विश्व में चाँदी की कमी हो गई थी, इस कारण भी सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक को चाँदी के स्थान पर ताँबे की प्रतीकात्मक मुद्रा चलानी पड़ी।
‘प्रतीकात्मक मुद्रा’ सिद्धांत के अनुसार मोहम्मद बिन तुगलक ने चाँदी के सिक्के यानी ‘टका’ के स्थान पर तांबे की मुद्रा ‘जितल’ चलाई थी और उसने अपनी सारी जनता को आदेश दिया था कि ‘टका’ मुद्रा के प्रतीक के रूप में इस नई मुद्रा को स्वीकार किया जाए ताकि मुद्रा की कमी से निपटा जा सके।
यह मुद्रा एक प्रतीकात्मक मुद्रा थी, लेकिन उस समय की जनता के लिए ये उपाय एक नई बात थी, उन्हे खासकर व्यापारी वर्ग को यह मुद्रा स्वीकारना बेहद कठिन हो गया। मुद्रा ढालने में हुई गड़बड़ियों के कारण आम जनता में कई लोग स्वयं ऐसी मुद्रा अपने घर में ही ढालने लगे। इसलिए मोहम्मद बिन तुगलक की यह योजना असफल हो गई और आखिर में उसे अपनी योजना वापस लेनी पड़ी।
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