प्रतीप व व्यतिरेक अलकारा मअन्तर
खण्ड-3
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
यह अन्तिम जप, ध्यान में देखते चरण युगल,
राम ने बढ़ाया कर लेने को नीलकमल।
कुछ लगा न हाथ, हुआ सहस स्थिर मन चंचल,
ध्यान की भूमि से उतरे, खोले पलक विमला देखो,
वहां रिक्त स्थान, यह जप का पूर्ण समय
आसन छोड़ना असिद्धि, भर गए यनयन द्वय!!
"अथवा"
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I don't know sorry bhai Alabama bahan
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o mlmnkleeeessssssejemekekekek
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