प्रतिरोध का निकाय बनाना क्यों आवश्यक है
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प्रतिरोधक (resistor) दो सिरों वाला वैद्युत अवयव है जो विद्युत परिपथ में बहने वाली विद्युत धारा का अवरोध करता है। प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर उससे बहने वाली तात्कालिक धारा के समानुपाती (या लगभग समानुपाती) होता है। ये विभिन्न आकार-प्रकार के होते हैं। इनसे होकर धारा बहने पर इनके अन्दर उष्मा उत्पन्न होती है। कुछ प्रतिरोधक ओम के नियम का पालन करते हैं जिसका अर्थ है कि -
V = IR
एलेक्ट्रॉनिक परिपथ में प्राय: सबसे अधिक प्रयुक्त अवयव है। व्यवहार में प्रयुक्त प्रतिरोधक विभिन्न पदार्थों, तारों एवं फिल्मों के द्वारा बनाये जाते हैं। वैद्युत-दृष्टि से, हीटर, विद्युत इस्तरी (प्रेस), विद्युत बल्ब आदि प्रतिरोधक हैं।
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