Hindi, asked by sangachrispreetham, 4 days ago

प्रतिदिन अनेक लड़के लड़कियां छोटे-छोटे गांव कस्बों हमसे बड़े शहरों में काम की तलाश में आया करते हैं कहानी का लड़का भी काम छोड़ कर आया था सोचिए वह पता लगाइए कि ऐसे कौन से कारण है जो इन्हें गांव या कस्बा छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं​

Answers

Answered by tejmistry137
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Answer:

पति के कंधे पर बोरी में भरा सामान, पत्नी की गोद में बच्चा, चेहरे पर खौफ, चिंता और अनहोनी के डर का मिला जुला भाव. पीछे लंबी कतारों में पैदल चलते बच्चे, औरत और मर्द. सब की मंजिल सैकड़ों किलोमीटर दूर अपना गांव. अपना वतन, जो सुरक्षा का अहसास देता है, अपनों के पास होने का सुकून देता है, जो किसी भी जरूरत में मदद करने को तैयार होंगे. लेकिन इस सुरक्षा घेरे तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है. बस, रेल और टैक्सी सब बंद. उस पर से पुलिस का पहरा जो आगे बढ़ने देने को तैयार नहीं. अनिश्चितता में भागते इन लोगों की कहानी भारत में बार बार दोहराई जाती है. फिर भी भागने वाले लोग अकेले होते हैं. उन्हें सहारा होता है तो सिर्फ उनके साथ भाग रहे दूसरे लोगों का.

कोरोना ने शहर से गांवों की ओर भागने वाले लोगों की कहानी में एक और अध्याय जोड़ दिया है. 24 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानलेवा वायरस को रोकने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया, तो यह उस वक्त तक किसी भी देश में लगे लॉकडाउन से लंबा था. करीब डेढ़ अरब की आबादी रातों-रात कर्फ्यू जैसी स्थिति में चली गई. भारत में लागू हुए इस लॉकडाउन का हर तबके के इंसान के लिए अलग मतलब है. अक्सर कहा जाता है, ‘एक भारत में कई भारत हैं.' ये लॉकडाउन की घोषणा के अगले दो दिन के अंदर शहरों की सीमाओं पर लगी भीड़ ने भी दिखा दिया.

Answered by dipak121
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Answer:

पति के कंधे पर बोरी में भरा सामान, पत्नी की गोद में बच्चा, चेहरे पर खौफ, चिंता और अनहोनी के डर का मिला जुला भाव. पीछे लंबी कतारों में पैदल चलते बच्चे, औरत और मर्द. सब की मंजिल सैकड़ों किलोमीटर दूर अपना गांव. अपना वतन, जो सुरक्षा का अहसास देता है, अपनों के पास होने का सुकून देता है, जो किसी भी जरूरत में मदद करने को तैयार होंगे. लेकिन इस सुरक्षा घेरे तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है. बस, रेल और टैक्सी सब बंद. उस पर से पुलिस का पहरा जो आगे बढ़ने देने को तैयार नहीं. अनिश्चितता में भागते इन लोगों की कहानी भारत में बार बार दोहराई जाती है. फिर भी भागने वाले लोग अकेले होते हैं. उन्हें सहारा होता है तो सिर्फ उनके साथ भाग रहे दूसरे लोगों का.

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