| प्रतिदिन एक पेज सुलेख का कार्य कीजिए।
2. मन के सहज भावों की अभिव्यक्ति है 'कविता । तो बच्चों आप भी निम्नलिखित में से किन्हीं एक विषय पर अपनी भावनाओं
को आठ पंक्तियों की कविता का रूप दे दीजिए। क-गरमी ख-प्रकृति ग- जल ही जीवन है।
| 3 दस मुहावर' और दस लोकोतियों का अर्थ सहित एक चार्ट पेपर पर लिखिए।
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सुलेख
हम सुलेख लिखावट को सुधार करने के लिए लिखते है, सुलेख हम किसी भी टॉपिक पे लिख सकते है.
हमें अपनी लिखाई को सुधारने के लिए सुलेख लिखना चाहिए|
ये कुछ टॉपिक है
मेरा देश भारत
योग का महत्व
जल ही जीवन कविता
जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाएंगे ,
अगर न बची जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।
धरती पर सबसे बहुमूल्य रत्न जल है,
जो प्रकृति के द्वारा मानवता के लिए अनमोल उपहार है।
जल की एक भी बूंद को बरबाद न करें
सुधारे गलती व अपनी भूल
हम न सुधरे या न सुधरे समाज
तो प्यासे ही गँवाएंगे अपनी जान |
मुहावरे
- पहाड़ होना - कठिन- कार्य
- पापड़ बेलना - मुसीबतों का सामना करना
- प्राण सूखना - भयभीत होना
- बूते के बाहर होना - सामर्थ्य के बाहर होना
- बे-सिर-पैर की बातें – निरुपयोगी बातें
- मुँह चुराना - सामने न आना
- मुद्रा कांतिहीन होना - चेहरे की चमक चली जाना
- लोहे के चने चबाना - असंभव कार्य करना
- सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होना - भय बना रहना
- सिर फिरना - बुद्धि काम न करना
लोकोक्तियाँ
- अन्धों में काना राजा= (मूर्खो में कुछ पढ़ा-लिखा व्यक्ति)
- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता= (अकेला आदमी बिना दूसरों के सहयोग के कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।)
- अधजल गगरी छलकत जाय= (जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता हैं, वह उसका प्रदर्शन या आडम्बर करता है।)
- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत= (समय निकल जाने के पश्चात् पछताना व्यर्थ होता है)
- अन्धा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को दे= (अधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य केवल अपनों को ही लाभ पहुँचाते हैं।)
- अन्धा क्या चाहे दो आँखें= (मनचाही बात हो जाना)
- अंधों के आगे रोना, अपना दीदा खोना= (मूर्खों को सदुपदेश देना या अच्छी बात बताना व्यर्थ है।)
- अंधी पीसे, कुत्ते खायें= (मूर्खों की कमाई व्यर्थ में नष्ट हो जाती है।)
- अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा= (जहाँ मालिक मूर्ख हो वहाँ सद्गुणों का आदर नहीं होता।)
- अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे= (बुद्धिहीन, किन्तु धनवान)
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ढयीछचछुएघणथजेएचेणणघच
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