। प्रतिवेदन से आप क्या समझते हैं? प्रतिवेदन के प्रकार
) प्रतिवेदन की महत्वपूर्ण विशेषताएं क्या है ? लिखिए-
त्य/असत्य लिखिए-
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एक सादिलाकार
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Answer:
भूत अथवा वर्तमान की विशेष घटना, प्रसंग या विषय के प्रमुख कार्यो के क्रमबद्ध और संक्षिप्त विवरण को ‘प्रतिवेदन’ कहते हैं।
अथवा
वह लिखित सामग्री, जो किसी घटना, कार्य-योजना, समारोह आदि के बारे में प्रत्यक्ष देखकर या छानबीन करके तैयार की गई हो, प्रतिवेदन या रिपोर्ट कहलाती है।
यह अतिसंक्षिप्त; किन्तु काफी सारगर्भित रचना होती है, जिसे पढ़कर या सुनकर उस घटना या अन्य कार्यवाई के बारे में वस्तुपरक जानकारी मिल जाती है। इससे किसी कार्य की स्थिति और प्रगति की सूचना मिलती है।
प्रतिवेदन अंग्रेजी के रिपोर्ट (Report) शब्द के अर्थ में प्रयुक्त होता है। समाचार पत्र के लिए किसी घटना अथवा दुर्घटना का विवरण रिपोर्ट या प्रतिवेदन है। किसी सामाजिक अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम के विवरण को भी प्रतिवेदन कहा जाता है। थाने में किसी दुर्घटना, अपराध (जैसे चोरी आदि) की शिकायत या रिपोर्ट के लिए प्रतिवेदन कक्ष (Reporting Room) बने होते हैं।
इन स्थितियों में प्रतिवेदन से विवरण, सूचना, समाचार अथवा शिकायत आदि अर्थ लिए जाते हैं। प्रतिवेदन का एक विशेष अर्थ भी है। किसी कार्य-योजना, परियोजना, समस्या आदि पर किसी उच्च अधिकारी द्वारा नियुक्त समिति प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है जिसमें उस योजना या समस्या का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है।
यह विवरण गहन पूछताछ तथा छानबीन पर आधारित होता है। अच्छे प्रतिवेदन में घटना, समस्या आदि से सम्बद्ध तथ्यों का प्रामणिक तथा निष्पक्ष विवरण होता है। संक्षिप्तता तथा स्पष्टता प्रतिवेदन के अनिवार्य गुण हैं।
प्रतिवेदन के तीन प्रकार हैं-
(1) व्यक्तिगत प्रतिवेदन
(2) संगठनात्मक प्रतिवेदन
(3) विवरणात्मक प्रतिवेदन
प्रतिवेदन के निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
(1) प्रतिवेदन में किसी घटना या प्रसंग की मुख्य-मुख्य बातें लिखी जाती हैं।
(2) प्रतिवेदन में बातें एक क्रम में लिखी जाती हैं। सारी बातें सिलसिलेवार लिखी होती हैं।
(3) प्रतिवेदन संक्षेप में लिखा जाता है। बातें विस्तार में नहीं, संक्षेप में लिखी जाती हैं।
(4) प्रतिवेदन ऐसा हो, जिसकी सारी बातें सरल और स्पष्ट हों; उनको समझने में सिरदर्द न हो। उनका एक ही अर्थ और निष्कर्ष हो। स्पष्टता एक अच्छे प्रतिवेदन की बड़ी विशेषता होती है।
(5) प्रतिवेदन सच्ची बातों का विवरण होता है। इसमें पक्षपात, कल्पना और भावना के लिए स्थान नहीं है।
(6) प्रतिवेदन में लेखक या प्रतिवेदक की प्रतिक्रिया या धारणा व्यक्त नहीं की जाती। उसमें ऐसी कोई बात न कही जाय, जिससे भम्र पैदा हो।
(7) प्रतिवेदन की भाषा साहित्यिक नहीं होती। यह सरल और रोचक होती है।
(8) प्रतिवेदन किसी घटना या विषय की साफ और सजीव तस्वीर सुनने या पढ़नेवाले के मन पर खींच देता है।
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