Social Sciences, asked by udeshya6986, 1 year ago

प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।

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Answered by shishir303
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हरियाणा के एक संपन्न राज्य है केरल उससे कम सम्पन्न राज्य है। हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय केरल से अधिक होने के बावजूद  केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है।  ऐसा क्यों है? इसके कारणों पर चर्चा करते हैं।

2015-2016 के आँकड़ो के अनुसार हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय 1,62,034 और केरल की प्रति व्यक्ति आय 1,40,190 है।

2016 के आँकड़ों के अनुसार हरियाणा में शिशु की मृत्यु दर केरल के अपेक्षा बहुत अधिक है। जिसका अनुपात 33:10 है।

2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा की साक्षरता दर भी केरल के मुकाबले कम हैं। जिसका अनुपात 82:94 है।

इसके अतिरिक्त 2013-14 के आँकड़ो के अनुसार 14-15 वर्ष की आयुवर्ग में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या भी हरियाणा में केरल के मुकाबले कम है, जिसका अनुपात 61:83 है।

इसका कारण है कि पैसा ही सर्वश्रेष्ठता का मापदंड नही होता। समाज की वैचारिक प्रगति और प्रगतिशील सामाजिक ढांचा भी मजबूत होना चाहिये।  

हरियाणा में शिशु मृत्यु दर अधिक क्यों है क्योंकि वहां पर जागरूकता कम है। वहां पर लैंगिक असमानता भी है जिसके कारण लड़कियां लड़कों के मुकाबले काफी कम है। उसके अतिरिक्त साक्षारतादर कम होने का कारण वैचारिक पिछड़ापन है। पैसे से आप सब कुछ नहीं खरीद सकते। पैसा आपके विचार नही बदल सकता। विचारों में परिवर्तन के लिये सरकार और पूरे समुदाय द्वारा आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिये।

किसी राज्य या क्षेत्र की प्रति व्यक्ति आय उस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है, जिसके वहाँ रोजगार तो अधिक उत्पन्न होता है, लेकिन सामाजिक पिछड़ापन भी रहता है।

इसलिये ये कहना उचित है कि राज्यों की तुलना के लिये प्रति व्यक्ति आय को मापदंड नही बनाना चाहिये।

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