प्रतिवर्ती क्रियाओं का महत्व
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इस प्रकार संवेदी अंगों से संवेदनाओं को संवेदी तन्तुओं द्वारा रीढरज्जु तक आने या रीढ़ रज्जु से प्रेरणा के रूप में अनुक्रिया करने वाले अंग की मॉसपेंषियों तक पहुंचाने के मॉर्ग को प्रतिवर्ती चाप तथा होने वाली क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं। हैं। जिससे मस्तिष्क का कार्यभार कम हो जाता है।
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Explanation:
किसी उद्दीपन के कारण अपने आप ही शीघ्र हो जाने वाली अनैच्छिक क्रियाओं को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं।
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