प्रत्येक समाज का आधार किसे मानते है।
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सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) वह प्रक्रिया है जिसमे व्यक्तियों के समूहों को उनकी प्रतिष्ठा, संपत्ति और शक्ति की मात्रा के सापेक्ष पदानुक्रम में विभिन्न श्रेणियों में उच्च से निम्न रूप में स्तरीकृत किया जाता है। वर्ग स्तरीकरण विश्वव्यापी है और उसके उत्पन्न होने के अनेक कारण हैं जैसे पूंजीपति और श्रमिक वर्ग औद्योगीकरण की देन हैं; धन की विभिन्न अवस्था धनी, मध्यम और र्निधन वर्ग को जन्म देती है।
परिचय संपादित करें
समाजशास्त्र में समाजिक स्तरीकरण का अध्ययन एक महत्वपूर्ण विषय है। समाज के विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि समाज में जिस प्रकार व्यक्ति एक दूसरे से जुड़े होते हैं, उसमें प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक अलग स्थान होता है। डॉक्टर, शिक्षक, व्यापारी, मेकेनिक, इंजिनियर, मजदूर, पुलिस, नर्स, पायलट, ड्राइवर। ये सभी किसी पेशे से जुड़े ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पेशे अलग-अलग हैं और उन पेशों के कारण उनकी सामाजिक स्थिति भी भिन्न है। इसलिए यह कहा जाता है कि सामाजिक स्तर पर भिन्नता किसी भी समाज की एक विशिष्ट पहचान है। प्रत्येक समाज में यह विभिन्नता पायी जाती है और समाजशास्त्रियों ने विभिन्न समाजिक कार्यों से जुड़े व्यक्तियों का अध्ययन अपने विशिष्ट अवधारणाओं की मदद से किया है। किसी व्यक्ति का ऊँचा व नीचा माना जाना उस समाज के प्रचलित नियमों के आधार पर होता है। सभी समाज के नियम यों तो अलग-अलग होते हैं परंतु उसके बावजूद भी समाज में व्यक्ति को ऊँचा व नीचा स्थान प्रदान करने के कुछ सैद्धान्तिक आधार हैं जिन सैद्धान्तिक आधार को ध्यान में रखकर समाजशास्त्र में सामाजिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता है।