Science, asked by mehraj7029, 1 year ago

प्रत्यावर्ती धारा विद्युत जनित्र का कार्यकारी सिद्धान्त क्या है ? इसकी रचना एवं कार्य-विधि का चित्र बनाकर, स्पष्ट व्याख्या कीजिए ।

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Answered by Ay611424
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Answer:

विद्युत जनित्र (ईलेक्ट्रिक जनरेटर) एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह प्रायः माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर, इसके विपरीत विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में बहुत कुछ समान होता है और कई बार एक ही मशीन बिना किसी परिवर्तन के दोनो की तरह कार्य कर सकती है।

विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। लेकिन यह आवेश का सृजन नहीं करता। यह जल-पम्प की तरह है जो केवल जल-को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती।

विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय। इसके लिये प्रत्यागामी इंजन (रेसिप्रोकेटिंग इंजन), टर्बाइन, वाष्प इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र (वाटर-ह्वील) पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी या जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।

किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाप से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युतशक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है।

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