प्रत्यावर्ती विद्युत जनित्र की क्रिया विधि का सचित्र वर्णन कीजिए
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कार्यविधि- जब आर्मेचर (कुण्डली) ABCD को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाया जाता है तो कुण्डली में विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के कारण विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। ... अगले आधे चक्कर में विद्युत् धारा की दिशा बदल जाती है। अतः धारा B1 से B2 की ओर बहती है। इस प्रकार परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होती है।
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