प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के दोष तथा abgun
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प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली
जब मतदाता अपने उम्मीदवार या प्रतिनिधि प्रत्यक्ष रूप से वोट डालकर चुनते हैं, तो उसे प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहा जाता है। इस प्रणाली के अन्तर्गत उम्मीदवार स्वयं मतदाता के पास जाकर वोट मांगते हैं और चुने जाने के बाद वे अपना उत्तरदायित्व भी महसूस करते हैं। इस प्रणाली के अन्तर्गत प्रतिनिधि सरकार का गठन होता है जो अधिक उत्तरदायी रहती है। भारत में प्रांतीय विधानमण्डलों के अधिकतर सदस्य इसी पद्धति के तहत चुने जाते हैं। स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों व लोकसभा के सदस्यों का भी चुनाव इसी विधि से होता है।
Explanation:
प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के गुण
- इससे लोगों में राजनीतिक चेतना उत्पन्न होती है।
- इसमें निर्वाचन सम्बन्धी भ्रष्टाचार के पनपने की संम्भावना कम है।
- इसमें जनता को पूरी स्वतन्त्रता प्राप्त होती है।
- इससे उत्तरदायी सरकार का जन्म होता है।
- यह प्रणाली लोकतन्त्र के अनुकूल है, क्योंकि इसमें जनता व सरकार का सीधा सम्बन्ध बना रहता है।
- इससे लोगों को राजनीतिक शिक्षा भी मिलती है और वे अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनते हैं।
- इससे सार्वजनिक हित को बढ़ावा मिलता है।
प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के दोष
- यह प्रणाली अधिक खर्चीली है।
- इसमें दलबन्दी के सभी दोष उजागर हो जाते हैं।
- समें चुनावी प्रचार की चकाचौंध के कारण अयोग्य व्यक्ति भी चुने जा सकते हैं।
- यह जनता के शासन के नाम पर जनता के साथ धोखा है। चुने जाने के बाद प्रतिनिधियों का जनता के प्रति उत्तरदायी बने रहना सर्वथा असम्भव है।
- इससे चुनावी भ्रष्टाचार अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य पनपने लगता है।
- इससे योग्य व्यक्ति सरकार में पहुंचने से पिछड़ जाते हैं, क्योंकि उसका स्थान चालाक व बेईमान व्यक्ति ले लेते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में अनेक अवगुण हैं, लेकिन फिर भी यह विश्व के अनेक देशों में अपनाई गई है। इसको अपनाया जाना ही इसके महत्व को इंगित करता है।
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