प्रत्यक्षवाद क्या है इसकी मूल मान्यताएं एवं विशेषताएं
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प्रत्यक्षवाद से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसके अंतर्गत सामाजिक घटनाओं के प्रमाणीकरण के लिए प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण करके किसी सार्थक निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है।
प्रकृति में विकास की जो भी प्रक्रिया हुई है अथवा जो भी सामाजिक घटनाएं घटित हुई हैं, उन्हें किसी भी धार्मिक या तात्विक आधार पर नहीं समझा जाता बल्कि उनके प्रत्यक्षीकरण की आवश्यकता पढ़ती है। वैज्ञानिक किसी भी सामाजिक घटना के प्रमाणीकरण के लिए सभी पदार्थों की प्रकृति और उससे संबंधित व्यवहार परिवर्तनशील नियमों पर कार्य करते हैं। उसी के आधार पर भी अपना निष्कर्ष निकालते हैं, यही प्रत्यक्षवाद है।
प्रत्यक्षवाद के अंतर्गत घटनाओं का अवलोकन, परीक्षण और वर्गीकरण करके विभिन्न घटनाओं में आप आपस में संबंध को समझा जाता है। प्रत्यक्षवाद की मान्यताएं इस प्रकार हैं...
- जिस तरह प्रकृति में उत्पन्न प्राकृतिक घटनाएं एक निश्चित नियमों पर आधारित घटित होती हैं, उसी तरह सामाजिक घटनाएं भी एक निश्चित व व्यवस्थित नियम से बंधी होती हैं।
- अवलोकन, विश्लेषण, वर्गीकरण तथा परीक्षण इन प्रक्रियाओं के द्वारा सामाजिक तथ्यों का यथार्थ व वास्तविक परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।
- प्रत्यक्षवाद एक पूर्णता वैज्ञानिक पद्धति है। इसमें तर्क की पूरी गुंजाइश होती है और हर बात को तर्क की कसौटी पर कसा जाता है।
- प्रत्यक्षवाद में पूरे मानव समाज का भौतिक तथा नैतिक विकास करते हुए सामाजिक प्रगति की दिशा में आगे बढ़ जाता है।
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