प्रत्यय की परिभाषा लिखकर दस उदाहरण सहित लिखिए।
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Hindi Grammar
प्रत्यय ‘प्रत्यय’ दो शब्दों से बना है– प्रति + अय। ‘प्रति’ का अर्थ है ‘साथ में, पर बाद में; जबकि ‘अय’ का अर्थ ‘चलने वाला’ है। अत: ‘प्रत्यय’ का अर्थ हुआ, ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला, अत: इसका प्रयोग शब्द के अन्त में किया जाता है। प्रत्यय किसी भी सार्थक मूल शब्द के पश्चात् जोड़े जाने वाले वे अविकारी शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या अर्थ बदल देते हैं।
जैसे–
सफल + ता = सफलता
अच्छा + ई = अच्छाई
यहाँ ‘ता’ और ‘आई’ दोनों शब्दांश प्रत्यय हैं, जो ‘सफल’ और ‘अच्छा’ मूल शब्द के बाद में जोड़ दिए जाने पर ‘सफलता’ और ‘अच्छाई’ शब्द की रचना करते हैं। हिन्दी भाषा के प्रत्यय को चार भागों में विभक्त किया गया है। जो निम्न हैं
संस्कृत प्रत्यय
हिन्दी प्रत्यय
विदेशज प्रत्यय
ई प्रत्यय
हिन्दी प्रत्यय
(i) कृत् (कृदन्त) मूल क्रिया के साथ कृत् प्रत्यय को जोड़कर नए शब्दों की रचना की जाती है।
प्रत्यय – मूल क्रिया – उदाहरण
अ – लूटू, खेल – लूट, खेल
अक्कड़ – पी, घूम् – पिअक्कड़, घुमक्कड़
अन्त – लड़, पिट् – लड़न्त, पिटन्त
अन – जल, ले – जलन, लेन
अना – पढ़, दे – पढ़ना, देना
आ – मेल, बैठ – मेला, बैठा
आई – खेल, लिख – खेलाई, लिखाई
आऊ – टिक्, खा – टिकाऊ, खाऊ
आन – उठ्, मिल् – उठान, मिलान
आव – घुम् , जम् – घुमाव, जमाव
आवा – छल्, बहक् – छलावा, बहकावा
आवना, – सुह, डर – सुहावना, डरावना
आक, आका, आकू – तैराक, लड़ाका, पढ़ाकू
आप, आपा – तैर, लड़ा, पढ़ – मिलाप, पुजापा
आवट – मिल्, पुज – बनावट, दिखावट
आहट – बन्, दिख् – घबराहट, झनझनाहट
आस – पी, मीठा – प्यास, मिठास
इयल – मर्, अड़ – मरियल, अड़ियल
इया – छल, घट – छलिया, घटिया
ई – घुड़क्, लग – घुड़की, लगी
ऊ – मार्, काट् – मारू, काटू
एरा – लूट, बस् – लुटेरा, बसेरा
ऐया – हँस, बच – हँसैया, बचैया
ऐत – लड़, बिगड़ – लडैत, बिगडैत
Answer:
Hindi Grammar
प्रत्यय ‘प्रत्यय’ दो शब्दों से बना है– प्रति + अय। ‘प्रति’ का अर्थ है ‘साथ में, पर बाद में; जबकि ‘अय’ का अर्थ ‘चलने वाला’ है। अत: ‘प्रत्यय’ का अर्थ हुआ, ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला, अत: इसका प्रयोग शब्द के अन्त में किया जाता है। प्रत्यय किसी भी सार्थक मूल शब्द के पश्चात् जोड़े जाने वाले वे अविकारी शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या अर्थ बदल देते हैं।
जैसे–
सफल + ता = सफलता
अच्छा + ई = अच्छाई
यहाँ ‘ता’ और ‘आई’ दोनों शब्दांश प्रत्यय हैं, जो ‘सफल’ और ‘अच्छा’ मूल शब्द के बाद में जोड़ दिए जाने पर ‘सफलता’ और ‘अच्छाई’ शब्द की रचना करते हैं। हिन्दी भाषा के प्रत्यय को चार भागों में विभक्त किया गया है। जो निम्न हैं
संस्कृत प्रत्यय
हिन्दी प्रत्यय
विदेशज प्रत्यय
ई प्रत्यय
हिन्दी प्रत्यय
(i) कृत् (कृदन्त) मूल क्रिया के साथ कृत् प्रत्यय को जोड़कर नए शब्दों की रचना की जाती है।
प्रत्यय – मूल क्रिया – उदाहरण
अ – लूटू, खेल – लूट, खेल
अक्कड़ – पी, घूम् – पिअक्कड़, घुमक्कड़
अन्त – लड़, पिट् – लड़न्त, पिटन्त
अन – जल, ले – जलन, लेन
अना – पढ़, दे – पढ़ना, देना
आ – मेल, बैठ – मेला, बैठा
आई – खेल, लिख – खेलाई, लिखाई
आऊ – टिक्, खा – टिकाऊ, खाऊ
आन – उठ्, मिल् – उठान, मिलान
आव – घुम् , जम् – घुमाव, जमाव
आवा – छल्, बहक् – छलावा, बहकावा
आवना, – सुह, डर – सुहावना, डरावना
आक, आका, आकू – तैराक, लड़ाका, पढ़ाकू
आप, आपा – तैर, लड़ा, पढ़ – मिलाप, पुजापा
आवट – मिल्, पुज – बनावट, दिखावट
आहट – बन्, दिख् – घबराहट, झनझनाहट
आस – पी, मीठा – प्यास, मिठास
इयल – मर्, अड़ – मरियल, अड़ियल
इया – छल, घट – छलिया, घटिया
ई – घुड़क्, लग – घुड़की, लगी
ऊ – मार्, काट् – मारू, काटू
एरा – लूट, बस् – लुटेरा, बसेरा
ऐया – हँस, बच – हँसैया, बचैया
ऐत – लड़, बिगड़ – लडैत, बिगडैत
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