प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?
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Explanation:
प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथhfggfdffggdafvbczcbvzzx bn
में, पर बाद में" और अय का अर्थ होता है "चलने वाला", अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।
जैसे :-
समाज + इक = सामाजिक
मुख्य रूप से प्रत्यय के दो भेद होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- कृत् प्रत्यय
- तद्धति प्रत्यय
1). कृत् प्रत्यय - उन प्रत्यय को कृत् प्रत्यय कहा जाता है जो क्रिया के मूल रूप यानी कि धातुओं के अंत मेंजोड़े जाते हैं।क्रिया के मूल रूप से अंत में जोड़कर यह उसके अर्थ को परिवर्तित करते हैं। कृत् प्रत्यय से बने शब्द कृदंत कहलाते हैं।
उदाहरण - खुद+ आई = खुदाई । इसमें आई प्रत्यय है।
कृत् प्रत्यय के पांच भेद होते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- कर्तृवाचक कृदंत
- कर्मवाचक कृदंत
- करणवाचक कृदंत
- भाववाचक कृदंत
- विशेषणवाचक कृदंत
2). तद्धति प्रत्यय - उन प्रत्यय को तद्धति प्रत्यय कहा जाता है जो संज्ञा सर्वनाम या विशेषण शब्दों के अंत में जूड़कर कर्तावाचक शब्दों का निर्माण करते हैं। संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण से जुड़कर ये नए शब्द का निर्माण करते हैं।
उदाहरण - अच्छा + आई = अच्छाई
तद्धति प्रत्यय के मुख्य रूप से 8 भेद होते हैं जो निम्नलिखित है:
- कर्तृवाचक तद्धित
- भाववाचक तद्धित
- संबंधवाचक तद्धित
- गणनावाचक तद्धित
- स्थानवाचक तद्धति
- ऊनवाचक तद्धित
- सादृश्यवाचक तद्धित
- गुणवाचक तद्धति