Hindi, asked by ItzMagicalQueen, 5 months ago

प्रदीप और गरिमा के बीच लड़का और लड़की में भेदभाव पर संवाद लिखिए।

Answers

Answered by Anonymous
6

गरिमा - प्रदीप, तुमने देखा है, सब जगह लड़का-लड़की में भेद किया जाता है। आज समाज तो आधुनिक हो गया है पर उसकी सोच में कोई परिवर्तन नहीं आया है।

प्रदीप - हाँ, यह तो हर रोज की बात है।

गरिमा - माँ, मुझसे ज्यादा प्रकाश का ध्यान रखती है। हर चीज़ पहले उसी को पसंद करने के लिए दी जाती है। मुझसे तो पसंद-नापसंद पूछने का सवाल ही नहीं।

प्रदीप - हाँ-हाँ, मेरे घर में भी ऐसा ही होता है। माँ मेरी बहिन मानसी की बजाय सबसे पहले मुझे ही देती है।

गरिमा - हाँ, एक दिन तो हद ही हो गई। उस दिन प्रकाश रात के बारह बजे घर आया पर माँ ने उसे ज़रा भी नहीं डाँटा। मैंने कहा तो कहने लगी कि वो तो लड़का है।

प्रदीप - हाँ, तुम ठीक कह रही हो। उस दिन मानसी घर में आठ बजे पहुँची तो माँ ने कई दिन तक उसका घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया। भला ये भी कोई बात हुई। लड़के-लड़की के बीच इतना भेदभाव क्यों ?

गरिमा - परंतु हमारे समाज में तो ऐसा नहीं होना चाहिए। वैसे तो आधुनिकता की होड़ में पुरुष-स्त्री को समान महत्त्व देने की बात कही जाती है। पर अभी भी इस तरह भेदभाव किया जाता है।

प्रदीप - आज युवाओं को मिलकर लोगों की इस सोच को बदलने का प्रयास करना होगा और इसके लिए हमें अपने घर से ही पहल करनी होगी।

गरिमा - हाँ-हाँ, तुम बिलकुल ठीक कर रहे हो, हम सबको मिलकर पहले अपने परिवारजनों की सोच को बदलना होगा तभी हम समाज की सोच को बदल सकेंगे। अन्यथा लड़का-लड़की में भेद हमेशा होता रहेगा।

ʜᴏᴘE ɪT ʜᴇʟᴘS ᴜH !!

Answered by Anonymous
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गरिमा - प्रदीप, तुमने देखा है, सब जगह लड़का-लड़की में भेद किया जाता है। आज समाज तो आधुनिक हो गया है पर उसकी सोच में कोई परिवर्तन नहीं आया है।

प्रदीप - हाँ, यह तो हर रोज की बात है।

गरिमा - माँ, मुझसे ज्यादा प्रकाश का ध्यान रखती है। हर चीज़ पहले उसी को पसंद करने के लिए दी जाती है। मुझसे तो पसंद-नापसंद पूछने का सवाल ही नहीं।

प्रदीप - हाँ-हाँ, मेरे घर में भी ऐसा ही होता है। माँ मेरी बहिन मानसी की बजाय सबसे पहले मुझे ही देती है।

गरिमा - हाँ, एक दिन तो हद ही हो गई। उस दिन प्रकाश रात के बारह बजे घर आया पर माँ ने उसे ज़रा भी नहीं डाँटा। मैंने कहा तो कहने लगी कि वो तो लड़का है।

प्रदीप - हाँ, तुम ठीक कह रही हो। उस दिन मानसी घर में आठ बजे पहुँची तो माँ ने कई दिन तक उसका घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया। भला ये भी कोई बात हुई। लड़के-लड़की के बीच इतना भेदभाव क्यों ?

गरिमा - परंतु हमारे समाज में तो ऐसा नहीं होना चाहिए। वैसे तो आधुनिकता की होड़ में पुरुष-स्त्री को समान महत्त्व देने की बात कही जाती है। पर अभी भी इस तरह भेदभाव किया जाता है।

प्रदीप - आज युवाओं को मिलकर लोगों की इस सोच को बदलने का प्रयास करना होगा और इसके लिए हमें अपने घर से ही पहल करनी होगी।

गरिमा - हाँ-हाँ, तुम बिलकुल ठीक कर रहे हो, हम सबको मिलकर पहले अपने परिवारजनों की सोच को बदलना होगा तभी हम समाज की सोच को बदल सकेंगे। अन्यथा लड़का-लड़की में भेद हमेशा होता रहेगा।

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