प्रदूषित पानी के कारण जलचर प्राणियों का संकट ग्रस्त जीवन इन हिंदी कक्षा 6story
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जल प्रदूषण को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट शब्दों में परिभाषित करते हुए कहा है कि ‘प्राकृतिक या अन्य स्रोतों से उत्पन्न अवांछित बाहरी पदार्थों के कारण जल दूषित होता है तथा वह विषाक्तता एवं सामान्य स्तर से कम ऑक्सीजन के कारण जीवों के लिये हानिकारक हो जाता है तथा संक्रामक रोगों को फैलाने में सहायक होता है। इस प्रकार भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों की जल में परिवर्तनशीलता ही जल प्रदूषण का कारण बनती है। जल की निर्मिती हाइड्रोजन के दो अणुओं को ऑक्सीजन के एक अणु की समन्विति से सहज ही संभव हो जाती है। तपीय, ऊर्जा की उपस्थिति के कारण जल रंगहीन एवं पारदर्शी तत्व है परंतु जब यह दूषित हो जाता है, प्रदूषित हो जाता है तो इसका गुणधर्म परिवर्तित हो जाता है और यह उपयोगी, हानिकारक एवं अनुपयुक्त हो जाता है। यही कारण है कि समुद्री जल जो क्षारीय खारा जल है, विश्व के संपूर्ण जल का 97 प्रतिशत अंश होते हुए भी, पेय नहीं है, हानिकारक है, प्रदूषित है।
सृष्टि में वृष्टि का विशेष महत्त्व है।