Hindi, asked by sonamchoikey, 1 day ago

प्रदूषण के कारण(for a assignment plz explain also)plz make it as long as possible​

Answers

Answered by ritika20192
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Explanation:

प्रदुषण अपने आप में इतनी बड़ी समस्या है जिसको, आसानी से खत्म तो नही किया जा सकता| परन्तु सोच को बदलते हुए ,छोटे-छोटे उपाय कर ,इस समस्या को जड़ से खत्म भी किया जा सकता है| और जिससे भारत को फिर से, स्वच्छ और सुरक्षित कर सकते है| जो स्वच्छ भारत का सपना हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देखा है| इसे बचाने के महत्वपूर्ण बिन्दु-

आधुनिकीकरण मे हर एक तकनीक का इतना अधिक से अधिक उपयोग हो रहा है, जिसके चलते ग्लोबलवार्मिंग का खतरा बहुत बढ गया है| जैसे- मोबाइल, कंप्यूटर, आधुनिक मशीनों कम से कम करे| जिससे का उपयोग निकलने वाली तरंगो को रोक कर ग्लोबलवार्मिंग के खतरे को कम किया जा सकता है|

वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए| जिससे खनीज पदार्थो की खपत को रोका जा सके|

मशीनों का उपयोग कम कर , हाथ से बनी वस्तु का उपयोग अधिक करे|

सौर ऊर्जा से चलने वाले यंत्रो का उपयोग करे|

कृषि के लिए जैविक खाद का उपयोग करे|

बढ़ रहे प्लास्टिक के उपयोग को रोके और कचरे के रूप मे फेकें जाने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल कर उपयोग करे|

अधिक से अधिक पेड़-पोधो लगाये, जल का संग्रह कर उसका सदुपयोग करे|

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वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।

जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।

ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।

प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।

सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

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