Hindi, asked by poojakardam444, 1 year ago

प्रदूषण मुक्त दिल्ली बनाने हेतु मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल द्वारा सम -विषम (ऑड ईवन )योजना के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए ।

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Answered by Human100
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शिकागो विश्वविद्यालय के ‘एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ द्वारा जारी वायु गुणवत्ता-जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के अनुसार यदि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के वायु गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करते हुए वायु प्रदूषण कम करता है तो यहां के लोग औसतन चार साल ज्यादा जीवित रह सकते हैं।

भारत के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटी) औसत जीवन प्रत्याशा में 9 वर्ष का सबसे प्रभावशाली लाभ अर्जित करेगी। एनसीटी के बाद आगरा को 8.1 वर्ष और बरेली को 7.8 वर्ष का लाभ होगा।

सूचकांक में इस बात का अनुमान भी है कि अगर पीएम2.5 राष्ट्रीय या डब्लूएचओ मानकों को पूरा करता है तो देश की जनता के जीवन में कितने सालों में वृद्धि हो सकती है? हम बता दें कि पीएम2.5 या पार्टिकुलेट मैटर 2.5 आकार में 2.5 माइक्रोन से कम होता है या मानव बाल के मुकाबले 30 गुना अधिक महीन होता है और सांस लेने से ये फेफड़ों में गहराई से प्रवेश कर सकता है और कभी-कभी रक्तचाप और गंभीर स्वास्थ्य नुकसान पहुंचा सकता है।

जीवनकाल पर वास्तविक प्रभाव का आकलन करने वाला ‘एक्यूएलआई’ भारत की राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) से एक कदम आगे है, जो हवा में आठ प्रदूषक की उपस्थिति को मापता है और स्तर की गंभीरता को छह श्रेणियों में दर्ज करता है।

एक्यूएलआई दर्शाता है कि भारतीय मानक से नीचे पीएम2.5 प्रदूषण को कम करके, जो भारतीय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित है और डब्ल्यूएचओ मानक से कम सख्त है, भारतीय औसतन 1.35 वर्ष ज्यादा जीवित रह सकते हैं।

वायु (वार्षिक) में पीएम 2.5 के अनुमत स्तरों के लिए डब्ल्यूएचओ मानक 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर ((μg/m3) है, लेकिन पीएम 2.5 के लिए भारत की राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक 40 μg / m3 पर तीन गुना अधिक है। शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान के निदेशक माइकल ग्रीनस्टोन ने इंडियास्पेंड को ई-मेल के जरिए बताया कि “डब्ल्यूएचओ इस तरह के एक कम मानक को ठीक से आवंटित करता है क्योंकि छोटे कण के प्रदूषण से बहुत कम स्तर पर भी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।”

1.55 करोड़ लोगों के अनुमान के साथ, दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ने 98 μg / m3 का वार्षिक औसत दर्ज किया है जो कि राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक के तहत सुरक्षित माने जाने वाली सीमा से दोगुना है और डब्ल्यूएचओ मानक से करीब 10 गुना ज्यादा है। पीएम 2.5 प्रदूषण को नियंत्रित करने से सबसे ज्यादा दिल्ली को लाभ मिलेगा। यदि यह राष्ट्रीय मानकों तक पहुंचता है तो दिल्ली के नागरिकों का जीवन करीब छह वर्ष (5.9) ज्यादा होगा, जबकि डब्ल्यूएचओ के मानदंड तक पहुंचने से नागरिकों की उम्र में नौ साल का इजाफा हो सकेगा।

एक्यूएलआई ‘प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित अध्ययनों के डेटा पर आधारित है, जिसमें पाया गया कि आकार (पीएम 10) में 10 माइक्रोन की हवाई सामग्री में 10 μg/m3 की वृद्धि से जीवन प्रत्याशा 0.64 साल कम हो जाती है। पीएम 10 का अनुमान तब वैश्विक पीएम 2.5 सांद्रता पर लागू किया गया था।

वर्ष 2015 के दौरान दुनिया भर के परिवेश पीएम 2.5 सांद्रता का कनाडा के अनुमानडलहौसी विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय संरचना विश्लेषण समूह से लिया गया था, जहां इस डेटा को एकत्रित करने के लिए उपग्रह, भौतिक निगरानी और अनुकार आधारित स्रोतों के संयोजन का उपयोग किया था। इन मापों में पीएम2.5 के प्राकृतिक स्रोतों को धूल और समुद्री नमक से बाहर रखा गया है, ताकि नक्शे में दिखाई गई सांद्रता मुख्य रूप से मानव गतिविधि से प्रदूषण को दर्शाए।

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