प्रदूषण मुक्त दिवाली कैसे बनाएं 150 शब्द का निबंध
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नमस्कार डियर फ्रेड्स एंड स्टूडेंट्स आज हम ईको फ्रेंडली अर्थात प्रदूषण मुक्त दीपावली पर शोर्ट एस्से निबंध स्पीच भाषण अनुच्छेद यहाँ बता रहे हैं. चलिए पटाखे मुक्त दिवाली त्योहार निबंध को पढ़ते हैं.
नमस्कार डियर फ्रेड्स एंड स्टूडेंट्स आज हम ईको फ्रेंडली अर्थात प्रदूषण मुक्त दीपावली पर शोर्ट एस्से निबंध स्पीच भाषण अनुच्छेद यहाँ बता रहे हैं. चलिए पटाखे मुक्त दिवाली त्योहार निबंध को पढ़ते हैं.
आज जिस ओर भी नजर दौड़ाएं चहुओर प्रदूषण का आलम ही नजर आता हैं. कुछ दशक पूर्व तक यह इतनी गंभीर समस्या नहीं थी,
आज जिस ओर भी नजर दौड़ाएं चहुओर प्रदूषण का आलम ही नजर आता हैं. कुछ दशक पूर्व तक यह इतनी गंभीर समस्या नहीं थी,मगर औद्योगिक प्रगति के नाम पर हमारी हवा, जल तथा भूमि में अब पूरी तरह जहर घुल चूका हैं. प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन तथा तेजी से हो रही वनों की कटाई के चलते प्रदूषण एक भयंकर समस्या बनकर उभरा हैं.
आज जिस ओर भी नजर दौड़ाएं चहुओर प्रदूषण का आलम ही नजर आता हैं. कुछ दशक पूर्व तक यह इतनी गंभीर समस्या नहीं थी,मगर औद्योगिक प्रगति के नाम पर हमारी हवा, जल तथा भूमि में अब पूरी तरह जहर घुल चूका हैं. प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन तथा तेजी से हो रही वनों की कटाई के चलते प्रदूषण एक भयंकर समस्या बनकर उभरा हैं.दिवाली हमारा मुख्य पर्व हैं जिसे भारत भर में लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं. इस अवसर पर बड़ी मात्रा में फटाखे जलाएं जाते हैं.
आज जिस ओर भी नजर दौड़ाएं चहुओर प्रदूषण का आलम ही नजर आता हैं. कुछ दशक पूर्व तक यह इतनी गंभीर समस्या नहीं थी,मगर औद्योगिक प्रगति के नाम पर हमारी हवा, जल तथा भूमि में अब पूरी तरह जहर घुल चूका हैं. प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन तथा तेजी से हो रही वनों की कटाई के चलते प्रदूषण एक भयंकर समस्या बनकर उभरा हैं.दिवाली हमारा मुख्य पर्व हैं जिसे भारत भर में लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं. इस अवसर पर बड़ी मात्रा में फटाखे जलाएं जाते हैं. कुछ दिन पूर्व से लेकर दीपावली के कई दिन बाद तक पटाखों की गूंज सुनाई पड़ती हैं. ये पटाखे रासायनिक पदार्थों से मिलकर बने होते है जो जलने पर जहरीली गैसों के उत्सर्जन के साथ ही जोर से आवाज करते हैं.
आज जिस ओर भी नजर दौड़ाएं चहुओर प्रदूषण का आलम ही नजर आता हैं. कुछ दशक पूर्व तक यह इतनी गंभीर समस्या नहीं थी,मगर औद्योगिक प्रगति के नाम पर हमारी हवा, जल तथा भूमि में अब पूरी तरह जहर घुल चूका हैं. प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन तथा तेजी से हो रही वनों की कटाई के चलते प्रदूषण एक भयंकर समस्या बनकर उभरा हैं.दिवाली हमारा मुख्य पर्व हैं जिसे भारत भर में लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं. इस अवसर पर बड़ी मात्रा में फटाखे जलाएं जाते हैं. कुछ दिन पूर्व से लेकर दीपावली के कई दिन बाद तक पटाखों की गूंज सुनाई पड़ती हैं. ये पटाखे रासायनिक पदार्थों से मिलकर बने होते है जो जलने पर जहरीली गैसों के उत्सर्जन के साथ ही जोर से आवाज करते हैं.बड़े शहरों में दिवाली के दिनों में पटाखों का विस्फोट इतनी अधिक मात्रा में होता हैं कि कुछ भी स्पष्ट सुनना मुश्किल हो जाता हैं. गलियों में फटाखों के कागज तथा अपशिष्ट बिखरे पड़े रहते हैं.
आज जिस ओर भी नजर दौड़ाएं चहुओर प्रदूषण का आलम ही नजर आता हैं. कुछ दशक पूर्व तक यह इतनी गंभीर समस्या नहीं थी,मगर औद्योगिक प्रगति के नाम पर हमारी हवा, जल तथा भूमि में अब पूरी तरह जहर घुल चूका हैं. प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन तथा तेजी से हो रही वनों की कटाई के चलते प्रदूषण एक भयंकर समस्या बनकर उभरा हैं.दिवाली हमारा मुख्य पर्व हैं जिसे भारत भर में लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं. इस अवसर पर बड़ी मात्रा में फटाखे जलाएं जाते हैं. कुछ दिन पूर्व से लेकर दीपावली के कई दिन बाद तक पटाखों की गूंज सुनाई पड़ती हैं. ये पटाखे रासायनिक पदार्थों से मिलकर बने होते है जो जलने पर जहरीली गैसों के उत्सर्जन के साथ ही जोर से आवाज करते हैं.बड़े शहरों में दिवाली के दिनों में पटाखों का विस्फोट इतनी अधिक मात्रा में होता हैं कि कुछ भी स्पष्ट सुनना मुश्किल हो जाता हैं. गलियों में फटाखों के कागज तथा अपशिष्ट बिखरे पड़े रहते हैं.इस तरह प्रत्येक साल इस पर्व के बाद शहर में कई कूड़े के ढेर बन जाते हैं. निरंतर सुलगते रहने से ये हवा को प्रदूषित करते रहते हैं.