Science, asked by suryakant78kr, 2 months ago

प्रदूषण से बचने के उपाय पर अनुच्छेद ​

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Answered by yokavya0008
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आज दिल्ली से एयरलाइंस की 32 उड़ानों को डायवर्ट किया गया क्योंकि खराब दृश्यता के कारण ये उतर नहीं सकी। मैंने याद किया कि जब मैंने चार साल पहले दो विश्वविद्यालयों के निमंत्रण पर चीन का दौरा किया था तो चीन में भयावह कम दृश्यता और प्रदूषण की समस्या थी। मुझे ट्रेन में शंघाई से बीजिंग ले जाया गया क्योंकि मेरा मेजबान उड़ानों के रद्द होने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। मैंने पहले भी चीन की इस पर्यावरणीय आपदा का अनुमान लगाया था, क्योंकि मेरा बेटा, जो एक पायलट है, चीन गया और कई बार उसे बीजिंग में भी औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा…

मैं एक दिन सुबह सोकर उठा तो पूर्ण उज्ज्वल सूरज और नीला आसमान लिए धौलाधर मेरे सामने झिलमिला उठा। बर्फ  से ढकी चोटियां विज्ञापनों में एक साफ पॉलिश वाले दांतों की छवि की तरह थीं। जब मैंने हिमाचल के स्वास्थ्यप्रद वातावरण को देखा तो मुझे दिल्ली के एक मित्र ने एक अजीब सा झटका दिया, जिसने मुझे मास्क पहने एक तस्वीर भेजी जो स्क्रीन पर भयंकर लग रही थी। पहले उसने मुझे झटका दिया क्योंकि वह एक आतंकवादी की तरह लग रहा था, लेकिन बाद में मैंने नेट और टेलीविजन पर कई और खोज की, जो अपने चेहरों को मुखौटों से ढक रहे थे और अपने सबसे प्यारे शहर दिल्ली की सड़कों पर चल रहे थे जहां मैं बड़ा हुआ और जिसे मैंने दस साल पहले अपने आप को हिमाचल के हरे-भरे जंगलों के बीच स्थानांतरित करने के लिए छोड़ दिया था। इसी तरह शहरों से गांवों की ओर लोग क्यों नहीं आते तथा शहरों के बढ़ते प्रदूषण से बचते क्यों नहीं, विशेषतः तब जब उनके पास अपनी पारियां होती हैं। मैंने उस उर्दू कवि को उद्धृत किया जिन्होंने लिखा है ‘बडे़ शहरों में डर लगने लगा है, चलो अब लौट चलें जगलों में’। आज दिल्ली से एयरलाइंस की 32 उड़ानों को डायवर्ट किया गया क्योंकि खराब दृश्यता के कारण ये उतर नहीं सकी। मैंने याद किया कि जब मैंने चार साल पहले दो विश्वविद्यालयों के निमंत्रण पर चीन का दौरा किया था तो चीन में भयावह कम दृश्यता और प्रदूषण की समस्या थी। मुझे ट्रेन में शंघाई से बीजिंग ले जाया गया क्योंकि मेरा मेजबान उड़ानों के रद्द होने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था।

मैंने पहले भी चीन की इस पर्यावरणीय आपदा का अनुमान लगाया था, क्योंकि मेरा बेटा, जो एक पायलट है, चीन गया और कई बार उसे बीजिंग में भी औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसे बदसूरत बनाने के मुख्य कारणों में से एक कारण स्पेशल इकॉनामिक जोन (सेज) के माध्यम से लापरवाह और बेलगाम औद्योगिक विकास था। उन्होंने नुकसान को रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए हैं। दिल्ली ही नहीं, रिपोर्टों के मुताबिक, आधा भारत इस तरह की जहरीली गैसों की चपेट में है, जबकि सरकार के पास कई विकल्प थे जिन पर वह विचार कर सकती थी। लेकिन इस लेख में मैं जिस विकल्प की वकालत कर रहा हूं वह है ऐसे लोगों को प्रेरित करना जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं या पूर्णकालिक काम करने की स्थिति में नहीं हैं, वे ग्रामीण या भीतरी क्षेत्रों में जा सकते हैं। अब चूंकि इंटरनेट उपलब्ध है और सभी गांवों को जोड़ने और बिजली देने के लिए मोदी के नजरिए को कार्यान्वित किया जा रहा है, इसलिए पूरे भारत को जोड़ने योग्य बनाने और सेवाओं की पेशकश करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास होने चाहिएं। दो क्षेत्रों- कार्य और स्वास्थ्य, को उद्योग में स्थानांतरित करने और रोजगार-व्यवसाय के अवसरों को विकसित करने या ग्रामीण आबादी को रोजगार देने के लिए विकास केंद्रों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अपने अनुभव से मुझे सबसे बड़ा डिसइनसेंटिव यह लगता है कि बड़े शहरों से बाहर जाने में आनाकानी का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।

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Answered by chintuprachi6
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विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए। Mark me BRAINLIEST

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