प्रथ5 "कबीर घास ना निदिये जो पाऊं तती होई।
उड़ी पड़े जब ऑडि में,खरी दुहेती होई।
व्याख्या कीजिए।
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इस दोहे में कहा गया है कि मनुष्य को राह में पड़े तिनके का भी अपमान नहीं करना चाहिए, चाहे उसका अस्तित्व तुच्छ ही है, उसी तरह समाज में हर प्रकार का भेद भाव समाप्त होना चाहिए , चाहे वह जातीय आधार पर हो या आर्थिक ।
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